UP Winter Session: विधानमंडल में दोनों सदनों ने वापस लिया गुंडा नियंत्रण विधेयक, विपक्षी दलों ने सरकार से पूछा ये सवाल
UP Winter Session 2023 विधानमंडल के दोनों सदनों ने बुधवार को उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण (संशोधन) विधेयक- 2021 वापस कर दिया। राज्यपाल ने विधेयक को पुनर्विचार के लिए सरकार को लौटाया था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार प्रदेश में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने तथा उसके विस्तार के बाद गुंडा एक्ट में संशोधन किए गए थे। जिसके तहत पुलिस अपराधी को जिला बदर कर सकती थी।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। विधानमंडल के दोनों सदनों ने बुधवार को उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण (संशोधन) विधेयक- 2021 वापस कर दिया। राज्यपाल ने विधेयक को पुनर्विचार के लिए सरकार को लौटाया था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, प्रदेश में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने तथा उसके विस्तार के बाद गुंडा एक्ट में संशोधन किए गए थे। जिसके तहत पुलिस आयुक्त को गुंडा एक्ट के मामले में अपीलीय अधिकारी बनाए जाने के साथ ही किसी आरोपित को जिला बदर किए करने का अधिकार भी प्राप्त हो गया था।
पुलिस आयुक्त के बढ़े अधिकारों से उपजी विधिक अड़चन को लेकर उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण (संशोधन) विधेयक- 2021 को वापस किया गया। सरकार जल्द आवश्यक बदलाव कर विधेयक को नए सिरे से लागू कराएगी।
लखनऊ समेत सात महानगरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद गुंडा एक्ट लागू करने तथा आरोपित के अपील करने पर उसकी सुनवाई के अधिकारों में कुछ बदलाव किए गए थे। मार्च माह में कैबिनेट ने उप्र गुंडा नियंत्रण (संसोधन) विधेयक 2021 में परिवर्तन के साथ उप्र गुंडा नियंत्रण (संसोधन) विधेयक 2023 लागू किए जाने की मंजूरी दी थी। जिसके माध्यम से पुलिस कमिश्नरेट में अपील सुनने का अधिकार पुलिस आयुक्त काे प्रदान किया गया था, जबकि उनके अधीनस्थ अधिकारियों को इसे लागू करने के अधिकार प्रदान किया गया था।
जबकि, शेष जिलों में डीएम को गुंडा एक्ट लागू करने तथा मंडलायुक्त को उसकी अपील सुनने का अधिकार प्राप्त है। इससे पूर्व वर्ष 2021 में सरकार ने कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिए उप्र गुंडा नियंत्रण (संशोधन) विधेयक, 2021 को मंजूरी दी थी, जिसके तहत लखनऊ व गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नरेट में डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (डीसीपी) को अपराधियों के विरुद्ध गुंडा एक्ट लगाने का अधिकार प्रदान किया गया था।
एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि पुलिस कमिश्नरेट के गठन के पहले चरण में पुलिस आयुक्त को जिला बदर करने का अधिकार प्रदान किया गया था। बाद में पुलिस आयुक्त को अपीलीय अधिकारी भी बनाए जाने से कानूनी अड़चन आ रही थी। गुंडा एक्ट लगाने के बाद किसी आरोपित को जिला बदर किए जाने की दशा में अपीलीय अधिकारी पुलिस आयुक्त ही था। जबकि अपील उससे वरिष्ठ अधिकारी के समक्ष होनी चाहिए।
विधानसभा में विधेयक वापस लिए जाने के बाद विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि नियम के अनुसार, सरकार को विधेयक वापस लिए जाने के कारणों काे भी बताना चाहिए थे। विधान परिषद में सपा सदस्यों ने भी विधेयक वापस लिए जाने के कारणों को लेकर सवाल उठाए। उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण (संशोधन) विधेयक-2021, जो राज्य विधान मंडल पारित किये जाने के बाद संविधान के अनुच्छेद-200 के अंतर्गत राज्यपाल की अनुमति के लिए भेजा गया था।
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