अध्यक्ष पुत्र अखिलेश को मिला मुलायम का आशीर्वाद, शिवपाल को समझाया
सपा का नया अध्यक्ष बनने के बाद अखिलेश ने आज न सिर्फ अपने पिता से मिलकर आशीर्वाद लिया बल्कि गिले-शिकवों को दूर करने की भी कोशिश की।
लखनऊ (जेएनएन)। आगरा के राष्ट्रीय सम्मेलन में अखिलेश की ताजपोशी के बाद रिश्तों पर जमी बर्फ पिघली तो मुलायम परिवार में पिछले तेरह महीने से चल रही कलह खत्म होने के आसार अब और मजबूत नजर आने लगे हैं। पार्टी का नया अध्यक्ष बनने के बाद अखिलेश यादव ने शनिवार को न सिर्फ अपने पिता से मिलकर आशीर्वाद लिया, बल्कि उनके गिले-शिकवों को दूर करने की भी कोशिश की। अखिलेश के बाद चाचा शिवपाल यादव ने भी मुलायम से मुलाकात कर यह संकेत दे दिया है कि कुनबा अब सुलह की राह पर है। हालांकि शिवपाल के राजनीतिक भविष्य पर अब भी सवालिया निशान हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि नई व्यवस्था में पार्टी में उनकी स्थिति क्या होगी।
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शनिवार को सुबह से यह चर्चाएं जोर पकड़ चुकी थीं कि अखिलेश पिता से मिलने जाएंगे। दोपहर लगभग साढ़े 12 बजे वह मुलायम के घर पहुंचे। उनके साथ इटावा के एक अन्य नेता भी थे। अखिलेश ने पिता का पैर छूकर आशीर्वाद लिया और सम्मेलन में पारित प्रस्तावों और संविधान में संशोधनों की जानकारी दी। सूत्रों के अनुसार मुलायम का रुख भी सहज रहा और उन्होंने लगभग एक घंटे तक अखिलेश से वार्ता की। इस दौरान मुलायम ने पार्टी को एकजुट करने की सलाह पुत्र को दी।
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मुलायम ने तैयार किया फार्मूला !
सुलह के मुलायम फार्मूले के तहत अब समाजवादी पार्टी में अखिलेश के प्रभुत्व को किसी तरह की चुनौती नहीं रह गई है। वैसे इसकी पृष्ठभूमि मुलायम ने ही तैयार की। 25 सितंबर को सेक्युलर मोर्चा के गठन से इन्कार कर देने के बाद से ही बेटे के लिए मुलायम का रुख नरम नजर आने लगा था। इसके बाद ही अखिलेश ने मुलायम से मुलाकात भी की थी। फिर अधिवेशन के एक दिन पहले उन्होंने शिवपाल को फोन करके आशीर्वाद मांगा था। सम्मेलन के दिन शिवपाल की ओर से ट्वीट कर अखिलेश को बधाई देने से भी यह साफ हो गया था कि दोनों पक्ष अब सुलह की राह पर हैं।
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क्या होगा शिवपाल का
नए घटनाक्रमों के मद्देनजर पारिवारिक कलह खत्म होती नजर आ रही है लेकिन, यह सवाल बरकरार है कि डैमेज कंट्रोल के तहत शिवपाल के लिए क्या तय किया गया है। अखिलेश से मुलाकात के बाद शिवपाल भी शनिवार को मुलायम से मिले। सूत्रों के अनुसार मुलायम ने उन्हें भी समझाया है। वैसे लोहिया ट्रस्ट में शिवपाल को शामिल पर मुलायम ने उनके घावों पर मरहम लगाने की कोशिश की है लेकिन, यह सवाल बना हुआ है कि पार्टी में उनकी राजनीतिक भूमिका क्या होगी। शिवपाल की चुप्पी ने इस रहस्य को और गाढ़ा कर दिया है।
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