UP BJP President: भाजपा की कमान 20 वर्ष रही ब्राह्मणों के हाथ, ओबीसी से 5वें प्रदेश अध्यक्ष बने भूपेंद्र चौधरी
UP BJP President किसी दौर में भाजपा को सवर्णों की पार्टी बेशक कहा जाता रहा हो लेकिन उत्तर प्रदेश में तो संगठन सवर्ण और पिछड़ा वर्ग के डबल इंजन पर ही दौड़ा है। हां इसमें सवर्ण नेताओं और उसमें भी ब्राह्मण वर्ग के नेताओं की भागीदारी सबसे अधिक रही है।

UP BJP President: लखनऊ, राज्य ब्यूरो। मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में भाजपा नेतृत्व को भले ही लोकसभा चुनाव से पहले ब्राह्मण को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की लीक बदलने की रणनीति सही लगी हो, लेकिन पार्टी की स्थापना से अब तक ज्यादातर संगठन की कमान ब्राह्मण के हाथ में ही रही है।
अब तक के कुल 42 वर्ष की अवधि में सर्वाधिक 20 वर्ष से अधिक तक इसी वर्ग ने प्रदेश भाजपा का नेतृत्व किया है। अन्य पिछड़ा वर्ग पर भी पार्टी ने खूब भरोसा जताया। इस श्रंखला में भूपेंद्र सिंह चौधरी पांचवें, लेकिन जाट बिरादरी से पहले अध्यक्ष हैं।
किसी दौर में भाजपा को सवर्णों की पार्टी बेशक कहा जाता रहा हो, लेकिन उत्तर प्रदेश में तो संगठन सवर्ण और पिछड़ा वर्ग के 'डबल इंजन' पर ही दौड़ा है। हां, इसमें सवर्ण नेताओं और उसमें भी ब्राह्मण वर्ग के नेताओं की भागीदारी सबसे अधिक रही है।
दरअसल, भाजपा की स्थापना 1980 में हुई तो सबसे पहले प्रदेश संगठन की कमान माधव प्रसाद त्रिपाठी को सौंपी गई। वह 1980 से 1984 तक अध्यक्ष रहे। उनका कार्यकाल खत्म हुआ तो संगठन का जिम्मा पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता रहे कल्याण सिंह ने संभाल ली। वह 1984 से 1990 तक इस कुर्सी पर रहे।
इसके बाद मौका सवर्ण में ठाकुर जाति के राजनाथ सिंह को मिला तो कुछ समय तक प्रदेश संगठन को पिछड़ा वर्ग के ओमप्रकाश सिंह ने चलाया। इसी तरह क्रम चलता रहा और बारी-बारी से कलराज मिश्र, विनय कटियार, केशरीनाथ त्रिपाठी, रमापतिराम त्रिपाठी, सूर्यप्रताप शाही, लक्ष्मीकांत बाजपेयी, केशव प्रसाद मौर्य, डा. महेंद्र नाथ पांडेय और स्वतंत्रदेव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई।
इस तरह अब तक 20 वर्ष से अधिक समय तक ब्राह्मण, 12 वर्ष से ज्यादा अन्य पिछड़ा वर्ग, एक बार सवर्णों में ठाकुर और एक बार भूमिहार प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल रहा। भूपेंद्र सिंह चौधरी का कार्यकाल गुरुवार से शुरू हुआ है। वह पिछड़ा वर्ग से हैं, लेकिन यह पहली बार है, जब भाजपा ने किसी जाट नेता को उत्तर प्रदेश में संगठन का दायित्व सौंपा हो।
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