बिजली विभाग की वर्टिकल व्यवस्था के खिलाफ आयोग में प्रस्ताव दाखिल, टोल फ्री नंबर 1912 की सेवाओं पर खड़े किए सवाल
बिहार राज्य विद्युत नियामक आयोग में बिजली विभाग की वर्टिकल व्यवस्था के खिलाफ एक प्रस्ताव दायर किया गया है। प्रस्ताव में टोल फ्री नंबर 1912 की सेवाओं की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए गए हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि वर्तमान व्यवस्था उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का कारण बन रही है, और आयोग से हस्तक्षेप की मांग की गई है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। केस्को (कानपुर), अलीगढ़, मेरठ, बरेली के बाद पावर कारपोरेशन द्वारा लखनऊ, नोएडा सहित कुछ अन्य शहरों में विद्युत उपभोक्ता सेवा के लिए वर्टिकल व्यवस्था लागू करने के विरोध में राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में लोक महत्व का प्रस्ताव दाखिल किया है। जिसमें कहा है कि नियामक आयोग की अनुमति के बगैर यह यह व्यवस्था लागू की गई है, जो कि विद्युत वितरण संहिता का उल्लंघन है। यह आदेश रद किया जाना चाहिए।
परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा है कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन, निजीकरण के लिए वर्टिकल व्यवस्था लागू कर रहा है। वर्टिकल व्यवस्था कस्टमर केयर टोल फ्री नंबर 1912 के सहारे की जा रही है। इस व्यवस्था में ओटीपी व्यवस्था अब तक लागू नहीं की गई है ऐसे में उपभोक्ताओं का भरोसा इस पर नहीं है।
उन्होंने बताया है कि लोक महत्व प्रस्ताव के माध्यम से आयोग को अवगत कराया गया है कि यह व्यवस्था विद्युत वितरण संहिता के प्रविधानों का उल्लंघन है। आयोग को विश्वास में लिए बगैर वर्ष 1947 में बने राज्य विद्युत परिषद के स्ट्रक्चर में बदलाव किया जा रहा है।
विद्युत वितरण संहिता-2005 के अनुसार यदि कोई लाइसेंसी ( डिस्काम) उपभोक्ताओं के लिए कोई नई व्यवस्था लागू करता है तो इसकी जानकारी नियामक आयोग को देना अनिवार्य होता है। इस प्रक्रिया का उल्लंघन हुआ है। वर्मा ने बताया कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व राज्यसभा सांसद डा. लक्ष्मीकांत वाजपेई को इस पूरे प्रकरण से अवगत कराया है।
उनसे कहा कि वर्टिकल व्यवस्था से उपभोक्ताओं में आक्रोश है इस मामले में तत्काल सरकार से हस्तक्षेप की बात होनी चाहिए। वर्मा के मुताबिक सांसद डा. वाजपेयी ने कहा कि वह इस मामले में नियामक आयोग को पत्र लिखेंगे।

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