यूपी के शिक्षामित्रों को बड़ी राहत, अपने जिले में ही करा सकेंगे ट्रांसफर, जारी हुई स्थानांतरण नीति
UP News - उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों के लिए नई स्थानांतरण व समायोजन नीति जारी की है जिससे विवाहित महिला शिक्षामित्रों को बड़ी राहत मिलेगी। अब वे अपने पति के जिले में स्थानांतरित हो सकती हैं और अपने मायके के विद्यालय में पढ़ाने के लिए आने-जाने से मुक्त हो सकती हैं। लगभग 51000 शिक्षामित्रों को इस नीति से लाभ होगा।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। अब विवाहित महिला शिक्षामित्रों का दूसरे जिले के परिषदीय प्राथमिक व कंपोजिट स्कूल में भी स्थानांतरण हो सकेगा। अभी शादी के बाद उन्हें ससुराल से मायके के विद्यालय पढ़ाने आना पड़ता है। अब उन्हें बड़ी राहत मिल गई है।
वहीं, पुरुष व अविवाहित महिला शिक्षामित्रों का अपने जिले की ग्राम सभा के किसी भी विद्यालय में तबादला हो सकेगा। जल्द स्थानांतरण के लिए समय-सारिणी जारी की जाएगी। छह वर्ष बाद नई स्थानांतरण व समायोजन नीति जारी कर शिक्षामित्रों को बड़ी राहत दी गई है।
51 हजार शिक्षामित्रों को इससे लाभ
प्रदेश में कुल 1,46,664 शिक्षामित्रों में से करीब 51 हजार शिक्षामित्रों को इससे लाभ होगा। आनलाइन स्थानांतरण के लिए 60 अंकों का भारांक निर्धारित किया गया है। नवीन विद्यालय में स्थानांतरण किए जाने पर तीन दिन में शिक्षामित्र को ज्वाइन करना होगा।
प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा एमकेएस सुंदरम की ओर से शुक्रवार को शिक्षामित्रों के लिए नई स्थानांतरण व समायोजन नीति जारी कर दी गई।
अगर जिले के भीतर पुरुष व अविवाहित महिला शिक्षामित्रों के लिए उनके पूर्व के मूल विद्यालय में जहां उनकी पहली तैनाती हुई थी, वहां पद खाली नहीं है तो ग्रामसभा के दूसरे विद्यालय में रिक्त पद तबादला होगा।
जिन शिक्षामित्रों के द्वारा कार्यरत विद्यालय में ही पदास्थापित किए जाने का ही एक विकल्प दिया जाता है तो ऐसे आवेदन पत्रों पर किसी भी तरह की कार्यवाही की जरूरत नहीं होगी।
जिला स्तरीय समिति के माध्यम से निर्धारित भारांक के आधार पर स्थानांतरण करेगी। अगर एक पद पर उससे अधिक आवेदन हैं तो भारांक के आधार पर तैनाती होगी। मानव संपदा पोर्टल के डाटा के आधार पर ऐसे परिषदीय प्राथमिक स्कूल व कंपोजिट विद्यालयों में जहां शिक्षामित्र कार्यरत न हो वहां पर दो रिक्तियां चिह्नित की जाएंगी।
जहां पर एक शिक्षामित्र कार्यरत होगा वहां पर एक पद रिक्त घोषित किया जाएगा। नक्सल प्रभावित जिलों के विद्यालय जहां पर एक भी शिक्षामित्र नहीं है वहां तीन पदों पर, जहां एक शिक्षामित्र है वहां दो पदों पर और जहां पर दो शिक्षामित्र हैं वहां एक पद पर शिक्षामित्र का समायोजन होगा।
2018 में स्थानांतरण नीति में छूट गए थे
मालूम हो कि वर्ष 2001 में शिक्षामित्रों की भर्ती शुरू की गई थी और वर्ष 2010 तक भर्ती की गई। फिर दो वर्षों की चरणबद्ध ढंग से बीटीसी ट्रेनिंग कराकर इन्हें सहायक अध्यापक बनाया गया, लेकिन वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इन्हें फिर शिक्षामित्र पद पर वापस कर दिया गया।
ऐसे में अध्यापक बनकर दूसरे जिले या फिर जिले में दूसरे ब्लॉक के विद्यालयों में गए तमाम शिक्षक अपने मूल विद्यालय जहां पर शिक्षामित्र के रूप में तैनात हुए थे, वहां वापस नहीं हो सके। वर्ष 2018 में स्थानांतरण नीति आई, लेकिन तमाम शिक्षामित्र छूट गए।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के अध्यक्ष शिव कुमार शुक्ला व महामंत्री सुशील यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि बीते 16 अक्टूबर को मुख्यमंत्री से मुलाकात कर मांग की गई थी। जो पूरी हो गई। अब उम्मीद है कि सरकार आगे मानदेय भी बढ़ाएगी।
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