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    Big Medical Achievement : एक्यूट लिवर फेल्योर से पांच बच्चों की जान जाने का था खतरा, डॉ. पीयूष उपाध्याय ने बिना ट्रांसप्लांट बचाई जान

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 07:38 PM (IST)

    Big Medical Achievement in Lucknow चार बच्चों के हेपेटाइटिस ए संक्रमण से लिवर खराब हो गए थे जबकि एक को लिवर डैमेज होने की वजह विल्सन रोग बना। विल्सन रोग एक आनुवंशिक विकार है जिसमें शरीर में तांबा जमा होने लगता है जिससे लिवर मस्तिष्क और अन्य अंगों को तेजी से नुकसान पहुंचता है।

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    ठीक हो चुके बच्चे के साथ डॉ. पीयूष उपाध्याय

    विकास मिश्र, जागरण, लखनऊ : हेपेटाइटिस ए संक्रमण और विल्सन रोग के चलते चार से 12 वर्ष तक के पांच बच्चे एक्यूट लिवर फेल्योर से ग्रस्त थे। ऐसे मरीजों के पास ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प होता है, लेकिन लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. पीयूष उपाध्याय ने सटीक इलाज से इन बच्चों की जान बचा ली।

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    डॉ. पीयूष उपाध्याय के मुताबिक, चार बच्चों के हेपेटाइटिस ए संक्रमण से लिवर खराब हो गए थे, जबकि एक को लिवर डैमेज होने की वजह विल्सन रोग बना। विल्सन रोग एक आनुवंशिक विकार है, जिसमें शरीर में तांबा जमा होने लगता है, जिससे लिवर, मस्तिष्क और अन्य अंगों को तेजी से नुकसान पहुंचता है।

    यह रोग आमतौर पर पांच से 35 वर्ष की आयु के बीच पता चलता है। विल्सन रोग में मृत्यु दर बहुत अधिक है। हेपेटाइटिस ए दूषित भोजन या पानी के सेवन से होता है। डॉ. उपाध्याय कहते हैं, पहली बार मरीज की स्थिति देखने के बाद लगा कि लिवर ट्रांसप्लांट ही कराना पड़ेगा, क्योंकि पांचों बच्चों के लिवर के साथ किडनी भी काफी हद तक खराब हो गई थी। पांचों बच्चे बाइपैप पर भर्ती किए गए।

    ऐसे मामलों में रोगी की बचने की संभावना 20 प्रतिशत से भी कम होती है। खास बात यह है कि इनमें से कोई भी ट्रांसप्लांट कराने की स्थिति में नहीं था। सभी की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है। आयुष्मान भारत योजना और मुख्यमंत्री राहत कोष से मदद मिली थी। ऐसे में मेरा लक्ष्य सभी को बिना ट्रांसप्लांट स्वस्थ करना था। सही उपचार व देखभाल से पांचों बच्चों का लिवर ठीक हो गया। ये मेरे करियर का सबसे चुनौतीपूर्ण केस थे।

    किडनी भी 75 प्रतिशत हो गई थी खराब

    डॉ. पीयूष उपाध्याय ने बताया कि एक्यूट लिवर फेल्योर किडनी और मस्तिष्क दोनों को प्रभावित कर सकता है। पांचों मरीजों की किडनी करीब 75 प्रतिशत तक खराब हो गई थी। ब्रेन में सूजन बढ़ने लगी। ऐसी स्थिति में सबसे पहले मरीजों के ब्रेन को सूजन से बचाना लक्ष्य होता है। सूजन बढ़ने से रक्त प्रवाह पर असर पड़ता है और कुछ घंटे में ही रोगी का ब्रेन डेड हो सकता है।

    लगातार प्रयास से उम्मीद बढ़ी और धीरे-धीरे ब्रेन को सूजन से बचाने और किडनी के संक्रमण को कम करने में सफलता मिली। इसको चिकित्सा भाषा में ब्रेन प्रोटेक्टिव स्ट्रेटजिक कहते हैं। इस दौरान हाई-एंटीबायोटिक दवाएं दी गईं। इसका दुष्प्रभाव मरीज की इम्युनिटी पर पड़ता है।

    एक माह बाद बेहद चुनौतीपूर्ण दिख रहे इलाज से उत्साहित परिणाम आए। 35वें दिन पांचों बच्चों को पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। खास बात यह है कि एक बच्चे के इलाज में 60-70 हजार रुपये का खर्च आया। कार्पोरेट अस्पतालों में एक दिन का 80 हजार से एक लाख रुपये लगता है।

    एक्यूट लिवर फेल्योर के लक्षण

    पीलिया, पेट में ऊपर दाएं तरफ दर्द, मतली व उल्टी, सामान्य से अधिक थकान व कमजोरी, भ्रम व मानसिक स्थिति में बदलाव, सांसों में बदबू, रक्तस्राव, पेट में सूजन, गहरे रंग का पेशाब व हल्का मल, पेशाब कम होना।

    कैसे करें बचाव

    धूमपान व शराब का सेवन न करें, फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर आहार लें, वजन नियंत्रित रखें और नियमित व्यायाम करें, हेपेटाइटिस ए और बी के टीके लगवाएं, खुले में रखे भोजन या पानी का सेवन न करें।