बड़ी उपलब्धि: उत्तर प्रदेश एयरोस्पेस तथा रक्षा इकाई एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2024 को मंजूरी… क्या है इसकी बड़ी बातें?
योगी सरकार ने राज्य को एयरोस्पेस और रक्षा निर्माण का अग्रणी केंद्र बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए नई नीति को मंजूरी दी गई है जिसके तहत उत्पादन को दोगुना करने और अगले पांच साल में 50 हजार करोड़ के निवेश को आकर्षित करने का लक्ष्य है। नीति से एक लाख युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे और स्वदेशी क्षमताओं इनोवेशन और वैश्विक सहयोग को गति मिलेगी।

राज्य ब्यूरो, महाकुंभ नगर। महाकुंभ में श्रद्धा की डुबकी के बाद योगी सरकार ने प्रदेश को एयरोस्पेस और रक्षा निर्माण का अग्रणी केंद्र बनाने का बीड़ा उठाया। इस क्षेत्र को बढ़ाने के लिए नई नीति को को मंजूरी दी गई।
इसके तहत उत्पादन को दोगुना करने के साथ अगले पांच साल में 50 हजार करोड़ के निवेश को आकर्षित करने का लक्ष्य है। नीति के लागू होने के बाद एक लाख युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। स्वदेशी क्षमताओं, इनोवेशन और वैश्विक सहयोग को गति मिलेगी।
महाकुंभ नगर के त्रिवेणी संकुल में बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश एयरोस्पेस तथा रक्षा इकाई एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2024 पर मुहर लगाई गई।
नीति का उद्देश्य यूपी में एयरोस्पेस और रक्षा (एएंडडी) क्षेत्र को सशक्त बनाना है। यूपी रक्षा औद्योगिक गलियारा (यूपीडीआईसी) में एक मजबूत, विश्व स्तरीय, उच्च प्रौद्योगिकी और कुशल एएंडडी मैन्युफैक्चरिंग वातावरण बनाना है।
एएंडडी क्षेत्र में आधुनिकतम केंद्र विकसित करने के लिए स्टार्टअप और निवेश को भी आकर्षित किया जाएगा। स्टार्टअप और एमएसएमई के कौशल और क्षमता विकास के लिए एएंडडी आधारित सामान्य सुविधा केंद्र बनाने पर भी योगी सरकार ने कदम आगे बढ़ाया है।
एआई और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट सेंटर को प्रोत्साहन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य में उन कंपनियों के विकास को बढ़ावा देना चाहते हैं, जो एएंडडी में भारत की आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण का समर्थन करती हैं। नीति के जरिए इस सेक्टर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सॉफ्टवेयर विकास केंद्र को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
एएंडडी सेक्टर की यूनिट्स को फ्रंट एंड सब्सिडी भी प्रदान की जाएगी। इसमें लैंड सब्सिडी, स्टांप ड्यूटी एग्जम्पशन और कैपिटल सब्सिडी भी दी जाएगी। परिवहन शुल्क पर छूट जैसी सुविधाएं भी सरकार प्रदान करेगी। नीति में महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए सभी लागू सब्सिडी पर अतिरिक्त दो प्रतिशत प्रदान करने की व्यवस्था भी की गई है।
एयरोस्पेस तथा रक्षा उत्पादन को दोगुना करने का लक्ष्य
रक्षा मत्रालय ने 2025-26 तक देश में एयरोस्पेस तथा रक्षा उत्पादन को दोगुणा कर 25 बिलियन यूएस डालर और निर्यात को पांच बिलियन यूएस डालर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
अनुमान है कि वर्ष 2047 तक एयरोस्पेस तथा रक्षा विनिर्माण क्षेत्र का देश के सकल घरेलू उत्पाद में 25 प्रतिशत का योगदान होगा। रक्षा मंत्रालय की ओर से देश में दो रक्षा औद्योगिक गलियारे उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में स्थापित किये गये हैं। योगी सरकार ने इसमें प्रदेश को अग्रणी बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
कौशल विकास और अनुसंधान पर जोर देगी सरकार
नीति के तहत प्रदेश सरकार सरकारी आईटीआई-पॉलिटेक्निक में उद्योग के परामर्श से नये पाठ्यक्रम शुरू करेगी। प्रत्येक रक्षा इकाई को एक वर्ष की अवधि के लिए प्रति व्यक्ति 10 हजार रुपये की सीमा तक अधिकतम 20 लोगों को कौशल प्रदान करने की लागत वहन करेगी। राज्य अग्रणी तकनीकी संस्थानों को उत्कृष्ट केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए एक वर्ष में 10 करोड़ रुपये की सहायता भी मिल सकेगी।
नई नीति में की प्रमुख बातें
- मेगा एंकर और एंकर इकाइयां अपने भूमि क्षेत्र के 20 प्रतिशत हिस्से में विक्रेता इकाई स्थापित कर सकेंगी।
- रक्षा गलियारे में कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा आवंटित भूमि पार्सल के 10 वर्ष की अवधि का पट्टा किराया भूमि लागत का एक प्रतिशत और 10 वर्ष से अधिक के लिए 1.5 प्रतिशत होगा।
- इकाइयों को रक्षा गलियारे में भूमि सब्सिडी के रूप में सकल विक्रय मूल्य के 25 प्रतिशत की छूट।
- भूमि क्रय-पट्टा विलेख में स्टांप ड्यूटी में 10 प्रतिशत की छूट। इसके लिए स्टांप राशि के बराबर बैंक गारंटी संबंधित शासनादेश के अनुसार जमा होगी।
- इकाइयां पश्चिमांचल व मध्यांचल में 25 प्रतिशत और बुंदेलखंड व पूर्वांचल क्षेत्र में 35 प्रतिशत कैपिटल सब्सिडी के लिए पात्र होंगीं।
- आयतित उपकरण, संयंत्र और मशीनरी के परिवहन पर परिवहन लागत के 50 प्रतिशत की सब्सिडी की पात्रता होगी, जो लाजिस्टिक पार्क, परिवहन केंद्र, बंदरगाह आदि से राज्य में उत्पादन स्थल तक परिवहन के लिए होगी। सब्सिडी की अधिकतम सीमा पांच करोड़ रुपये होगी।
- तैयार उत्पादों के परिवहन के लिए भी सब्सिडी की उपरोक्त व्यवस्था वाणिज्यिक उत्पादन आरंभ होने की तारीख से पांच साल की अवधि तक के लिए रहेगी।
- पर्यावरण संरक्षण इंफ्रांस्ट्रक्चर स्थापित करने पर 25 प्रतिशत सब्सडी मिलेगी, जिसकी सीमा अधिकतम एक करोड़ रुपये होगी।
- राज्य सामान्य सुविधा केंद्र-कौशल एवं प्रशिक्षण केंद्र के लिए पूंजी निवेश का 50 प्रतिशत, अधिकतम 10 करोड़ रुपये प्रदान करेगा।
यह भी मिलेगी सहायता
- एमएसएमई-स्टार्टअप को स्थापना की तारीख से पांच वर्ष तक प्रति वर्ष एक अंतराष्ट्रीय व्यापार शो में भाग लेने के लिए 15 लाख रुपये और राष्ट्रीय आयोजनों के लिए पांच लाख रुपये की सहायता मिलेगी।
- इकाइयों को घरेलू पेटेंट पंजीकरण के लिए पेटेंट शुल्क के 100 प्रतिशत और अंतरराष्ट्रीय के लिए शुल्क के 50 तक की प्रतिपूर्ति की जाएगी। इसकी अधिकतम सीमा प्रति इकाई 25 लाख रुपये तक होगी। सभी इकाइयों को देय प्रतिपूर्ति की अधिकतम सीमा एक करोड़ रुपये होगी, पेटेंट मंजूर होने के बाद दी जाएगी।
- एमएसएमई इकाइयों को एएस-9100 श्रंखला, एनएडीसीएपी आदि गुणवत्ता प्रमाणन के लिए प्रति इकाई अधिकतम एक लाख रुपये तक प्रमाणन शुल्क की 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति की जाएगी।
- ट्रेडमार्क पंजीकरण के लिए आवेदन शुल्क की अधिकतम एक लाख रुपये तक पूरी तरह से प्रतिपूर्ति की जाएगी।
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