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ब्लड कैंसर खत्म करेगी बीएचयू की औषधि, अब दवा की तैयारी

काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने आयुर्वेद पद्धति से खून के कैंसर के खात्मे में सफलता हासिल कर ली है। इसे लेकर एक मरीज पर प्रयोग किया गया, जिसका परिणाम शत-प्रतिशत आया। कैंसर सेल लाइन पर भी दवा काम कर गई।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 15 Mar 2016 08:24 PM (IST)Updated: Tue, 15 Mar 2016 08:31 PM (IST)
ब्लड कैंसर खत्म करेगी बीएचयू की औषधि, अब दवा की तैयारी

लखनऊ। काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने आयुर्वेद पद्धति से खून के कैंसर के खात्मे में सफलता हासिल कर ली है। इसे लेकर एक मरीज पर प्रयोग किया गया, जिसका परिणाम शत-प्रतिशत आया। कैंसर सेल लाइन पर भी दवा काम कर गई। शोध बीएचयू की ही आयुर्वेद फार्मेसी में बनी दवा से किया गया। उत्साहित विश्वविद्यालय प्रशासन अब कैंसर के इलाज के लिए व्यापक पैमाने पर दवा बनाने की तैयारी शुरू कर चुका है। इसे लेकर कमेटी गठित कर दी गई है, जो इथिकल क्लीयरेंस के बाद आगे की कार्रवाई करेगी। उधर, अमेरिका भी कैंसर के इलाज को लेकर आयुर्वेद पर नजर गड़ाए हुए है। इसी के तहत पिछले सप्ताह वहां की टीम ने इस व्यवस्था को परखा और पूरे विश्व में इस पद्धति को लागू कराने के संकेत दिए। इंडियन सोसाइटी आफ हेमोटोलाजी एंड ब्लड ट्रांसफ्यूजन के वैज्ञानिक सचिव प्रो.विजय तिलक के मुताबिक आयुर्वेद पद्धति से रक्त कैंसर के इलाज के बहुत ही सकारात्मक परिणाम आए हैं। कई प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद बीएचयू में ही दवा बनाने की ओर अग्रसर हैं। जल्द ही मरीजों को लाभ मिलने लगेगा।

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इलाज में खर्च बहुत कम

प्रयोग के दौरान पाया गया कि आयुर्वेद पद्धति से इलाज में महज 32,500 रुपये का खर्च आया, जबकि एलोपैथ में यह खर्च करीब 4.12 लाख रुपये से अधिक होता है। इसके अलावा आयुर्वेद से इलाज में करीब एक वर्ष का ही समय लगा, वहीं एलोपैथ में ढाई साल से अधिक का वक्त लगता है और बीमारी के ठीक होने की गारंटी भी नहीं होती। विशेषज्ञों का कहना है कि जब बीएचयू में ही दवा बनने लगेगी तो आयुर्वेद से इलाज में 32 हजार से भी कम खर्च आएगा।

टीम में शामिल

दवा बनाने को लेकर विशेषज्ञों की टीम में मेडिसिन विभाग के प्रो. मधुकर राय, रसशास्त्र विभाग के प्रो. आनंद चौधरी, इंडियन सोसाइटी आफ हेमोटोलाजी एंड ब्लड ट्रांसफ्यूजन के वैज्ञानिक सचिव व पैथोलॉजी विभाग के प्रो. विजय तिलक और सेंटर आफ जेनेटिक डिसआर्डर के डा. अख्तर अली को शामिल किया गया है। प्रो. राय के पास जो मरीज आएंगे, उनका इलाज किया जाएगा। प्रो. आनंद दवा बनाएंगे और देंगे। वहीं प्रो. तिलक व डा. अली माइक्रोस्कोप व मोलीक्यूलर विधि से परीक्षण कर इसका परिणाम बताएंगे।


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