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    UP News: यूपी के 54 अस्पतालों में लगेंगी बेरा मशीन, आसान होगी बहरेपन की जांच

    Updated: Fri, 22 Aug 2025 07:04 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश के 54 अस्पतालों में मूक बधिर दिव्यांगजनों के बहरेपन की जांच के लिए बेरा मशीनें लगाई जाएंगी। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने इसके लिए वित्तीय स्वीकृति दे दी है। अभी तक यह सुविधा केवल कुछ मेडिकल कॉलेजों में ही उपलब्ध थी जिससे दिव्यांगजनों को परेशानी होती थी। इस पहल से दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने में आसानी होगी और फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी।

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    प्रदेश के 54 अस्पतालों में लगेंगी बेरा मशीन, आसान होगी बहरेपन की जांच।- सांकेत‍िक तस्‍वीर

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश के 54 अस्पतालों में अब मूक बधिर दिव्यांगजनों के बहरेपन की सटीक जांच हो सकेगी। मंडलीय व जिला चिकित्सालयों में बेरा (ब्रेनस्टेम इवोक्ड रिस्पांस आडियोमेट्री) मशीन से जांच की सुविधा शुरू करने की तैयारी है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बेरा मशीनों के लिए 6.77 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति दे दी है। जल्द ही मशीनों की खरीद की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

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    प्रदेश में बेरा जांच की सुविधा सिर्फ केजीएमयू सहित गिने-चुने मेडिकल कालेजों में ही है। सरकारी अस्पतालों अभी इस जांच की सुविधा नहीं है।इससे मूक बधिर दिव्यांगजनों की बेरा मशीन से जांच के लिए परेशान होना पड़ता है। अस्पतालों में जांच शुरू होने से दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने में दिक्कतें कम होंगी। वहीं बधिर दिव्यांगता के फर्जीवाड़े पर रोक लग सकेगी। ईएनटी विशेषज्ञ बताते हैं कि अभी सरकारी अस्पतालों में आडियोमेट्री मशीन से बहरेपन की जांच की सुविधा है। इस मशीन की अपनी सीमाएं हैं। सटीक जांच के लिए बेरा मशीन जरूरी होती है।

    ये होती है बेरा जांच

    बेरा जांच से नवजात शिशुओं और बच्चों में सुनने की समस्या का शुरुआत में ही पता लगाया जा सकता है। जिससे बच्चों की दिक्कतों का समय पर इलाज संभव हो सकेगा। मूक बधिर बच्चों को समय पर इलाज मिलने से भाषा व बोलने की क्षमता के विकास में मदद मिलती है। इस मशीन से कान और ब्रेनस्टेम से सुनने की क्षमता का आंकलन किया जाता है। यह भी कह सकते हैं कि इस जांच से किसी भी मरीज की सुनने की क्षमता का सटीक मूल्यांकन किया जा सकता है। इस मशीन से तंत्रिका तंत्र (न्यूरोलाजिकल) संबंधी दिक्क्तों की पहचान भी की जा सकती है।

    इलाज कैसा मिला, मरीज एप पर दे सकेंगे प्रतिक्रिया

    प्रदेश में एप आधारित आनलाइन रोगी प्रतिक्रिया प्रणाली (पेशेंट फीड बैक सिस्टम) की स्थापना की जाएगी। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने इसके लिए 13.57 लाख रुपये की वित्तीय स्वीकृति दी है। एप विकसित करने के लिए भारत सरकार की संस्था सी-डैक को नामित किया गया है। एप के माध्यम से मरीज मेडिकल कालेजों व अस्पतालों में उपलब्ध दवाइयों, साफ-सफाई, इलाज की सुविधा, पैरा मेडिकल, नर्सिंग स्टाफ के व्यवहार पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकेंगे। इससे विभागों को अपनी कमियों और कर्मचारियों की कार्यप्रणाली का पता चल सकेगा। साथ ही शिकायतों का तुरंत समाधान व कार्रवाई भी जाएगी।

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