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यूपी में 30 बच्चों से कम संख्या वाले स्कूल होंगे मर्ज, डिजिटल क्लास रूम के साथ म‍िलेंगी कई सुव‍िधाएं

ऐसे पर‍िषदीय स्‍कूलों में छात्र सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ नहीं है। ऐसे हालात को देखते हुए निर्णय लिया गया है कि जिन स्कूलों के पास अधिक स्थान है वहां एक कमरे वाले स्कूलों को मर्ज किया जाएगा।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 04 Feb 2021 06:57 PM (IST)Updated: Thu, 04 Feb 2021 09:31 PM (IST)
यूपी में 30 बच्चों से कम संख्या वाले स्कूल होंगे मर्ज, डिजिटल क्लास रूम के साथ म‍िलेंगी कई सुव‍िधाएं
जिन स्कूलों के पास अधिक स्थान है, वहां एक कमरे वाले स्कूलों को मर्ज किया जाएगा।

लखनऊ, जेएनएन। किराए के एक कमरे, बरामदे या 30 बच्चों से कम संख्या वाले परिषदीय स्कूलों की सूरत बदलने जा रही है। इन स्कूलों को अधिक कमरों व जगह वाले स्कूलों में मर्ज किया जाएगा, जहां बच्चों को डिजिटल क्लास सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा इस संबंध में अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। राजधानी लखनऊ में ही करीब 1200 से अधिक परिषदीय विद्यालय संचालित हैं, जिसमें करीब दो लाख बच्चे पंजीकृत हैं। इनमें महज आधा दर्जन स्कूल, एक कमरे वाले, किराए के भवन, बरामदे या 30 बच्चों से कम संख्या की स्थिति में जैसे-तैसे चल रहे हैं।

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ऐसे पर‍िषदीय स्‍कूलों में छात्र सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ नहीं है। ऐसे हालात को देखते हुए निर्णय लिया गया है कि जिन स्कूलों के पास अधिक स्थान है, वहां एक कमरे वाले स्कूलों को मर्ज किया जाएगा। यहां जगह के अनुसार अलग-अलग क्लास के लिए कमरे, खेल का मैदान, डिजिटल क्लास के साथ मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था कराई जाएगी। बीएसए लखनऊ दिनेश कुमार ने बताया कि महानिदेशक स्कूल शिक्षा के निर्देश मिले हैं। इसलिए ऐसे स्कूलों को ज्यादा स्थान वाले स्कूलों में मर्ज करने का प्रस्ताव परिषद को भेजा जाएगा। 

स्कूलों को लेकर शासन के इस निर्देश के बाद माना जा रहा है कि अब स्कूलों को लेकर टीका टिप्पणी करने वालों के मुंह बंद हो सकेंगे। दरअसल परिषदीय स्कूल लंबे समय से उपेक्षा का शिकार रहे हैं। तमाम स्कूल जर्जर हैं तो कई ऐसे भी जहां बैठने के इंतजाम नहीं। जिसके चलते अभिभावक अपने बच्चों को ऐसे परिषदीय विद्यालयों में पढऩे के लिए भेजने से कतराते हैं, यही कारण है कि यहां छात्र संख्या भी कम रहती है। मगर इस बार बेसिक शिक्षा विभाग ने उन स्कूलों पर फोकस किया है जहां जहां छात्र संख्या 30 से कम हैं।


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