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    Bank Fraud: भारत में बैंकों से 400 करोड़ रुपये हड़पने वाले सिंगापुर के राजेश रोथरा पर कसा जा रहा शिकंजा

    By Alok Mishra Edited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Wed, 19 Nov 2025 01:26 PM (IST)

    Bank Fraud: सिंगापुर के राजेश ने सबसे बड़ा फ्राड पंजाब नेशनल बैंक से किया था। आरोपित राजेश बोथरा इन मामलों की जांच के दौरान कभी सीबीआइ के सामने नहीं आया। जाली बिल और कई फर्जी लेटर तैयार कर उसने बैंक से 31.60 करोड़ का फ्राड किया था।

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     सीबीआइ ने सिंगापुर निवासी ठग राजेश रोथरा को दिल्ली से पकड़ा (सांकेतिक तस्वीर)

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : सिंगापुर निवासी ठग पर राजेश रोथरा पर सीबीआई ने शिकंजा कस दिया है। सीबीआइ ने राजेश को दिल्ली से पकड़ा था। गिरोह बनाकर ने कई सरकारी बैंकों के लगभग 400 करोड़ रुपये हड़पे थे। रोथरा का मुख्य काम विभिन्न कंपनियों को निर्यात के फर्जी बिल उपलब्ध कराना था।

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    लखनऊ कोर्ट ने राजेश रोथरा को तीन दिन की पुलिस रिमांड पर सौंपा है। उससे पूछताछ में 400 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी में उसकी संलिप्तता सामने आई है। उसके खिलाफ आठ केस दर्ज हैं और सिंगापुर के राजेश ने सबसे बड़ा फ्राड पंजाब नेशनल बैंक से किया था। आरोपित राजेश बोथरा इन मामलों की जांच के दौरान कभी सीबीआइ के सामने नहीं आया। जाली बिल और कई फर्जी लेटर तैयार कर उसने बैंक से 31.60 करोड़ का फ्राड किया था।

    राजेश को सीबीआई ने 13 नवंबर को दिल्ली से गिरफ्तार किया था। उसे दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास एक होटल से गिरफ्तार दबोचा गया। आरोपितों को सीबीआइ लखनऊ एंटी करप्शन ब्रांच ने तीन दिनों की पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ की थी। निरीक्षक रोहित कैंथल की टीम ने उससे पूछताछ की, जिसमें पंजाब नेशनल बैंक व अन्य सरकारी बैंकों से ठगी के राज सामने आए।

    राजेश रोथरा के विरुद्ध सीबीआइ लखनऊ में आठ मुकदमों में जांच चल रही थी। फ्रास्ट इंफ्रास्ट्रक्चर एंड एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एफआइईएल) कंपनी के निदेशकों पर ठगी के गंभीर आरोप थे। राजेश रोथरा अपनी कंपनियों फारईस्ट व गल्फ डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड के माध्यम से फर्जी बिल उपलब्ध कराता था। बैंकों से विदेशी ऋण पत्र (एफएलसी) सीमा का लाभ उठाकर धोखाधड़ी की जाती थी। कंपनियों के बीच गलत तरीके से खरीद-बिक्री के लेनदेन दिखाए जाते थे।
    सीबीआइ के अनुसार धोखाधड़ी का मामला पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की शिकायत के बाद सामने आया था, जिसमें फ्रास्ट इंफ्रास्ट्रक्चर एंड एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एफआइईएल) कंपनी के निदेशकों द्वरा लोक सेवकों व अन्य लोगों से 31.60 करोड़ रुपये हड़पने का आरोप है। एफआइईएल ने जाली बिल प्रस्तुत करके साख पत्र (लेटर आफ क्रेडिट) की रकम हड़पी थी, जिसमें एफआइईएल व राजेश बोथरा की दो कंपनियां फारईस्ट व गल्फ डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड शामिल थीं। कंपनी ने बैंक से विदेशी ऋण पत्र (एफएलसी) सीमा का लाभ उठाकर धोखाधड़ी की। अब तक की जांच सामने आया कि राजेश बोथरा ने फर्जी बिल उपलब्ध कराए थे।

    कंपनियों के बीच गलत तरीके से खरीद-बिक्री के लेनदेन दिखाए गए थे। एफआइईएल ने बैंक को फर्जी बिल प्रस्तुत किए थे। मामले में पीएनबी को 31.60 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। जांच में यह भी सामने आया कि वास्तव में कोई व्यापार नहीं हुआ था। केवल फर्जी बिलों के जरिए रकम हड़पी गई। राजेश बोथरा के विरुद्ध लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच भी करोड़ों रुपये की ठगी के मामलों में जांच कर रही है। इनमें कई मामलों में अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी भी की गई थी और कोर्ट में आरोपपत्र भी दाखिल किए जा चुके हैं।