बांस के उत्पाद बनेंगे यूपी की पहचान, पांच शहरों में राज्य बैम्बू मिशन खोलेगा कॉमन फैसिलिटी सेंटर
बैम्बू मिशन यूपी के 37 जिलों में बांस की खेती को बढ़ावा देने जा रहा है। झांसी की लाठी वाराणसी की बांस डलिया और गोरखपुर की सूप डलिया इसमें प्रमुख भूमिका निभाएंगे।
लखनऊ [शोभित श्रीवास्तव]। बांस के उत्पाद अब यूपी की पहचान बनेंगे। झांसी की लाठी, वाराणसी की बांस डलिया, गोरखपुर की सूप डलिया और बरेली-सहारनपुर के बांस के फर्नीचर इसमें प्रमुख भूमिका निभाएंगे। इसके लिए उत्तर प्रदेश राज्य बैम्बू मिशन पांच शहरों गोरखपुर, मीरजापुर, झांसी, बरेली व सहारनपुर में कॉमन फैसिलिटी सेंटर खोलने जा रहा है। इसमें किसानों को बांस की खेती के लिए प्रेरित करने के साथ ही उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। बांस से बने उत्पादों की बिक्री के लिए बाजार भी उपलब्ध कराएगा।
राज्य बैम्बू मिशन यूपी के 37 जिलों में बांस की खेती को बढ़ावा देने जा रहा है। मिशन का प्रयास है कि यूपी के प्रमुख शहरों में बांस के उत्पादों को न सिर्फ वैश्विक पहचान मिले बल्कि इनका बड़ा बाजार भी विकसित हो। इसका सीधा फायदा किसानों व इससे जुड़े लोगों को होगा। कॉमन फैसिलिटी सेंटर में बांस से हस्तशिल्प, कुटीर उद्योग, फर्नीचर निर्माण, बांस बाजार, बांस की हट बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। बांस रखने और निर्मित उत्पादों को रखने के लिए गोदाम निर्मित होंगे।
बैम्बू मिशन हिमाचल प्रदेश के रिसॉर्ट के एक बड़े समूह से समझौता करने जा रहा है। यहां से उन्हें बांस के फर्नीचर सप्लाई किए जाएंगे। झांसी की लाठी को यूपी पुलिस में सप्लाई करने की योजना है। इसके लिए मिशन यूपी पुलिस से समझौता करने जा रहा है। बांस की लाठी न मिलने के कारण पुलिस ने फाइबर की लाठियां अपनाई हैं। साथ ही बांस की कील का बड़ा बाजार है। लोहे की कील एक साल में ही जंग लग जाती है, जबकि बांस की कील की करीब पांच साल चलती है।
वाराणसी में बांस की डलिया में प्रसाद मिलता है, इसलिए मीरजापुर के कॉमन फैसिलिटी सेंटर में यहां की डलिया को और सुंदर बनाकर प्रोत्साहित किया जाएगा। गोरखपुर में हैंडीक्राफ्ट के साथ ही सूप डलिया की मार्केटिंग की जाएगी। राज्य मिशन निदेशक विभाष रंजन ने बताया कि बांस की खेती को बढ़ावा देकर किसानों की आय बढ़ाने की योजना है। इसमें 50 फीसद तक सब्सिडी दी जाएगी। बांस के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए बैम्बू मिशन कई तरह के प्रयास कर रहा है।
पीपीपी में विकसित की जाएंगी फैक्ट्रियां
बरेली व सहारनपुर में बांस के फर्नीचर का बड़ा बाजार विकसित किया जा रहा है। इसके लिए पीपीपी मोड का भी सहारा लिया जाएगा। बांस के फर्नीचर बनाने के लिए जो फैक्ट्रियां स्थापित होंगी उसमें लगने वाली मशीनों का आधा पैसा सरकार देगी।
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