Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bakrid 2025 Date : लखनऊ में दिखा चांद, जानिए अब भारत में कब मनाया जाएगा बकरीद का त्यौहार

    Updated: Wed, 28 May 2025 07:41 PM (IST)

    Bakrid 2025 Date Declared मरकजी सुन्नी चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली व शहर-ए-काजी मौलाना मुफ्ती अबुल इरफान मियां फरंगी महली ने भी चांद दिखने का एलान किया और सात जून को बकरीद होने की बात कही है। जिलहिज्ज महीने की पहली तारीख गुरुवार करे होगी और सात जून को बकरीद मनाई जाएगी।

    Hero Image
    दिखा चांद, बकरीद सात जून को, महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक

    जागरण संवाददाता, लखनऊ : बकरीद का चांद बुधवार को दिखाई दिया। प्रदेश का राजधानी में बुधवार की देर शाम चांद दिख गया। अब भारत में ईद-उल-अजहा यानी बकरीद सात जून को मनाई जाएगी। यह इस्लाम धर्म के सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मरकजी शिया चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैयद सैफ अब्बास नकवी ने कहा कि बुधवार को शाम को जिलहिज्ज (बकरीद) का चांद देख गया। जिलहिज्ज महीने की पहली तारीख गुरुवार करे होगी और सात जून को बकरीद मनाई जाएगी। भारत में बकरीद स्थानीय चांद देखने पर तय होती है।

    मरकजी सुन्नी चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली व शहर-ए-काजी मौलाना मुफ्ती अबुल इरफान मियां फरंगी महली ने भी चांद दिखने का एलान किया और सात जून को बकरीद होने की बात कही है। सुन्नी हेल्पलाइन 29 से 10 जून तक दो बजे से शाम चार बजे तक काम करेगी। सुन्नी हेल्पलाइन नंबरों 9415023970 व 9335929670 पर फोन करके कुर्बानी की जानकारी ले सकते हैं।

    कुर्बानी यानी त्याग और बलिदान की भावना को समर्पित ईद-उल-अजहा को आमतौर पर बकरीद के नाम से जाना जाता है। यह इस्लाम धर्म के सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहारों में है। हर वर्ष इस्लामी कैलेंडर के 12वें महीने, धुल-हिज्जा की दसवीं तारीख को मनाया जाता है। ईद-उल-अजहा या ईद उल-जुहा, बकरीद या कुर्बानी का त्योहार भी कहा जाता है। इस्लाम में एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। यह पर्व मुस्लिम समुदाय बड़े श्रद्धा और भावनात्मक समर्पण के साथ मनाया जाता है।

    यह केवल कुर्बानी का दिन नहीं है, बल्कि अल्लाह के प्रति समर्पण, त्याग और इंसानियत की गहरी भावना का प्रतीक भी है। इस अवसर पर मुसलमान हजरत इब्राहीम (अलैहि सलाम) की उस निष्ठा और बलिदान को याद करते हैं, जब उन्होंने अल्लाह के आदेश पर अपने पुत्र को कुर्बान करने का संकल्प लिया था। तब से यह परंपरा चली आ रही है कि ईद-उल-अजहा पर पशु की कुर्बानी दी जाती है, जो अल्लाह के प्रति पूर्ण समर्पण और इंसानियत के लिए त्याग एवं बलिदान का प्रतीक बन गई है।

    comedy show banner