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    Azam Khan : आजम खां को लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट ने मानहानि के मुकदमे में किया बरी, पेश हुए थे पूर्व मंत्री

    By Dharmendra PandeyEdited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Fri, 07 Nov 2025 06:27 PM (IST)

    Azam Khan in MP-MLA Court in Lucknow: आजम खां के खिलाफ 2019 में दर्ज मानहानि के केस में एमपी/एमएलए मजिस्ट्रेट आलोक वर्मा की कोर्ट ने आज उनके पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आजम खां को मानहानि के केस में बरी कर दिया है।

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    लखनऊ में एमपी-एमएलए काेर्ट से बाहर आते आजम खां और उनके पुत्र अब्दुल्ला

    जागरण संवाददाता, लखनऊ: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां लखनऊ दौरे के दूसरे दिन शुक्रवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात करने के बाद एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश हुए।

    आजम खां के खिलाफ 2019 में दर्ज मानहानि के केस में एमपी/एमएलए मजिस्ट्रेट आलोक वर्मा की कोर्ट ने आज उनके पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आजम खां को मानहानि के केस में बरी कर दिया है।

    अखिलेश यादव की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे आजम खां के खिलाफ लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में 2019 में मानहानि का केस दर्ज किया गया था, जिसकी सुनवाई चल रही थी। इस केस का आज फैसला आ गया। काेर्ट ने आजम खां के खिलाफ काेई ठाेस और मजबूत सुबूत न होने पर उनकाे बरी कर दिया।

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    लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में आजम खां के खिलाफ छह वर्ष पुराने मानहानि के मामले में एमपी एमएलए कोर्ट ने आज उनकी मौजूदगी में अंतिम सुनवाई की। आजम खां पर सरकारी लेटर हेड एवं मोहर के गलत इस्तेमाल का आरोप था और उनके खिलाफ जमीर नकवी ने थाना हजरतगंज में एक फरवरी 2019 को मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था।

    जिसमें आरोप लगाया गया था कि वर्ष 2014 में सरकार में आजम खां के प्रभाव के कारण भाजपा के साथ आरएसएस और मौलाना सैय्यद कल्बे जब्बाद नकवी को बदनाम किया गया था। कोर्ट ने इस मामले में आजम खां को राहत दी और बरी कर दिया।

    पूर्व मंत्री आजम खां के खिलाफ एक फरवरी, 2019 को लखनऊ के हजरतगंज थाने में सामाजिक कार्यकर्ता अल्लामा जमीर नकवी ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। बताया गया कि 2014 में आजम खां के लेटरहेड पर जारी छह पत्रों में आरएसएस के साथ-साथ शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद और उनके निजी सचिव इमरान नकवी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां थीं।
     एफआईटीआर में आरोप लगाया गया था कि सपा सरकार में प्रभावी मंत्री के पद पर रहते हुए आजम खां ने आधिकारिक लेटरहेड और आधिकारिक मुहर का दुरुपयोग किया। उन्होंने इनका इस्तेमाल न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को बदनाम करने के लिए किया। शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि शिया वक्फ बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष वसीम रिजवी भी आरएसएस को बदनाम करने की साजिश में शामिल थे।
    मामले मे अभियोजन की तरफ से 5 गवाह पेश किए गए थे। न्यायालय ने बताया कि पूरे मामले में मानहानि कारक तथ्यों से संबंधित प्रेस रिलीज के संबंध में किसी प्रेस या उससे संबंधित व्यक्ति को भी बतौर साक्षी पेश नहीं किया गया जो वास्तविक रूप से उन परिस्थितियों व तथ्यों का विस्तार से स्पष्टीकरण कर सकते थे।