एक और बड़े स्कैम का पर्दाफाश, आयुष्मान योजना में 9 करोड़ का घोटाला; फंस गए यूपी के 11 जिलों के 39 अस्पताल
लखनऊ में आयुष्मान भारत योजना में 9.94 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा सामने आया है जिससे साचीज की डेटा सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। इस घोटाले में 39 अस्पतालों को शामिल पाया गया है जिनसे 4.03 करोड़ रुपये की वसूली हो चुकी है। साचीज ने डेटा सुरक्षा ऑडिट कराने और खामियों को दूर करने का निर्णय लिया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना व मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना में 9.94 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े ने स्टेट एजेंसी साचीज के डेटा सिक्योरिटी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। साचीज अब डेटा सिक्योरिटी की आडिट कराने जा रहा है। इस घोटाले के बाद उन सभी 39 अस्पतालों को नोटिस भेजा गया है, जिनके खातों में पैसे भेजे गए हैं। अब तक 4.03 करोड़ रुपये रुपये की रिकवरी अस्पतालों से कर ली गई थी।
गौरतलब है कि स्टेट एजेंसी फार कांप्रिहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) के लेखाधिकारी, प्रबंधक, मुख्य कार्यपालक अधिकारी की आईडी के माध्यम से फर्जीवाड़ा करने वाले ने 9.94 करोड़ रुपये 11 जिलों के 39 अस्पतालों के खातों में भेज दिए।
स्टेट एजेंसी में इतना बड़ा फर्जीवाड़ा जो मई के दूसरे पखवारे में हुआ बताया जा रहा है उसकी जानकारी महज तीन दिन पूर्व साचीज के उच्चाधिकारियों की हुई। जिसके बाद आनन फानन में पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराने के साथ ही जिन अस्पतालों की आईडी पर धनराशि भेजी गई थी, सबको रिकवरी का नोटिस भेजा गया।
साचीज अधिकारियों के मुताबिक फर्जीवाड़ा करने वाले ने अमरोहा, बहराइच, बिजनौर, बुलंदशहर, देवरिया, गाजियाबाद, गोरखपुर, हापुड़, लखनऊ, मुरादाबाद और वाराणसी जिले के सूचीबद्ध 39 अस्पतालों के खाते में रुपये ट्रांसफर किए हैं।
साचीज की मुख्य कार्यपालक अधिकारी अर्चना वर्मा के मुताबिक फर्जीवाड़ा करने वाले ने मई महीने में रात के समय एजेंसी के जिम्मेदार अधिकारियों की आईडी का दुरुपयोग कर अस्पतालों के खाते में पैसे भेजे थे। दो दिन पूर्व जब उन्होने जांच पड़ताल की तो फर्जीवाड़े पकड़ में आया, जिसके बाद पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करा दी गई।
उन्होंने बताया है कि एजेंसी की डेटा सिक्योरिटी को मजबूत करने के लिए एक्सपर्ट की बैठक बुलाई जा रही है। जल्द ही डेटा सिक्योरिटी की खामियों को दूर करा दिया जाएगा। उन्होंने कहा है कि फर्जीवाड़ा कर अस्पतालों को भेजी गई धनराशि की पूरी रिकवरी जल्द ही हो जाएगी। जो अस्पताल पैसा वापस नहीं कर पाएंगे उनके भुगतान धनराशि से इसे समायोजित कर लिया जाएगा।
इस मामले में स्टेट एजेंसी साजीच के नोडल अधिकारी डा. बीके श्रीवास्तव ने इस मामले में हजरतगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। मामले की जांच पुलिस भी कर रही है। अभी यह किसी के समझ में नहीं आ रहा है कि फर्जीवाड़ा करने वाले ने अस्पतालों के खाते में ही धनराशि क्यों हस्तांतरित किए, आखिर इससे उसको क्या फायदा होना था।
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