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    Ayushman Card: अब पोर्टल पर सेंधमारी से सुरक्षति रहेंगे आपके आयुष्मान कार्ड, ठग नहीं बना सकेंगे फर्जी कार्ड

    By Amit Yadav Edited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Wed, 05 Nov 2025 12:02 PM (IST)

    Prevention Ayushman Card From Fraud: राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने नए कार्ड बनाने के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण भी लागू कर दिया है। इससे किसी भी लाभार्थी का कार्ड अब बायोमेट्रिक जांच पूरी होने के बाद ही बनेगा। इस दो स्तरीय जांच से फर्जीवाड़े पर रोक लग सकेगी।

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    आयुष्मान कार्ड अनुमोदन करने वाले कंप्यूटर सिस्टम हैकिंग से सुरक्षित

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब नए आयुष्मान कार्ड जारी करने के लिए अब स्टेट एजेंसी फार काम्प्रिहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) के कार्यालय से ही अनुमोदन दिया जाएगा। ये सुविधा अब कार्यालयों के ही कंप्यूटर पर उपलब्ध होगी। नए कार्ड का अनुमोदन अब किसी अन्य कंप्यूटर सिस्टम से संभव नहीं होगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के पोर्टल में सेंधमारी करके 450 से अधिक फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने का मामला सामने आने के बाद यह फैसला किया गया है।

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    साचीज की मुख्य कार्यपालक अधिकारी अर्चना वर्मा ने बताया कि आयुष्मान कार्ड अनुमोदन करने वाले कंप्यूटर सिस्टम को हैकिंग से सुरक्षित किया गया है। इसके अलावा नए आयुष्मान कार्ड बनाने वाले उपयोगकर्ताओं के आइपी एड्रेस को सुरक्षित रखा जा रहा है। इससे किसी भी तरह की अनाधिकृत गतिविधि के मुख्य केंद्र का पता लगाया जा सकता है।

    इसके अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने नए कार्ड बनाने के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण भी लागू कर दिया है। इससे किसी भी लाभार्थी का कार्ड अब बायोमेट्रिक जांच पूरी होने के बाद ही बनेगा। इस दो स्तरीय जांच से फर्जीवाड़े पर रोक लग सकेगी।

    मरीज को भर्ती करने और उसके इलाज के दावे की जांच के लिए भी दो स्तर की प्रक्रिया को लागू किया गया है। पहले चरण में दावे की जांच केंद्र से नियुक्त एजेंसी कर रही है। इसके बाद दूसरे चरण में साचीज के डाक्टर इसकी समीक्षा कर रहे हैं।

    इसमें भी ये ध्यान रखा जाता है कि जिस लाभार्थी के इलाज का दावा पहले किया जाता है, उसका अनुमोदन भी पहले किया जाए। इससे पक्षपात की संभावना नहीं रह जाती है। इलाज की गुणवत्ता और प्रमाण के लिए मरीज के साथ ही डाक्टर की फोटो भी दावे के साथ पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य किया गया है।

    सीईओ ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण कृत्रिम बुद्धिमता (एआइ) आधारित साफ्टवेयर से आयुष्मान कार्ड और अस्पतालों के इलाज के दावों में अनियमितता की जांच कर रहा है। इसमें नेशनल एंट्री फ्राड यूनिट (एनएएफयू) से तैयार रिपोर्ट संदिग्ध गतिविधियों की पहचान करती है

    पहचान में मिले संदिग्ध कार्ड को स्टेट एंटी फ्राड यूनिट (एसएएफयू) को भेजा जाता है, जो कि जिलों में अधिकारियों से कार्ड का भौतिक सत्यापन कराती है। अर्चना वर्मा ने बताया कि आयुष्मान कार्ड बनाने की पूरी प्रक्रिया को किसी भी सेंधमारी से पूरी तरह से सुरक्षित किया गया है। आधार आधारित ई-केवाईसी से इस पूरी योजना के दुरुपयोग को रोका जा सकेगा।