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    Ayushman Card Online: आयुष्मान कार्ड बनाना अब नहीं होगा आसान, फर्जीवाड़े पर लगेगी रोक

    Updated: Thu, 13 Nov 2025 08:14 AM (IST)

    आयुष्मान कार्ड बनवाना अब पहले जितना आसान नहीं रहेगा। सरकार धोखाधड़ी रोकने के लिए नियमों को सख्त कर रही है। पहचान और पात्रता साबित करने के लिए अतिरिक्त दस्तावेज जमा करने होंगे। सरकार का लक्ष्य है कि केवल पात्र नागरिक ही इस योजना का लाभ उठा सकें और फर्जीवाड़े पर अंकुश लगाया जा सके।

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    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के सिस्टम में सेंध लगाकर फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाना अब आसान नहीं होगा। कार्ड का आवेदन कहां से किया गया, कहां बना और किस स्थान से इलाज के भुगतान के लिए आवेदन किया गया, इस पर भी नजर रखी जाएगी।

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    स्टेट एजेंसी फार काम्प्रिहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) ने एनएचए के अधिकारियों को सॉफ्टवेयर में इस सुविधा को अपडेट करने के लिए पत्र लिखा है।

    साचीज के अधिकारियों की आईडी को हैक करके पंजाब, तमिलनाडु, दिल्ली, उत्तराखंड से 450 से अधिक आयुष्मान कार्ड बनाए गए थे। इन कार्ड से नर्सिंग होम के साथ ही केजीएमयू, पीजीआई, एम्स दिल्ली और लोहिया इंस्टीट्यूट से इलाज भी कराया गया।

    जब मामले का खुलासा हुआ तो संदिग्ध आईडी से बनाए गए आयुष्मान कार्ड को रद किया गया। साथ ही अस्पतालों के भुगतान के दावों को भी रोक दिया गया। साचीज के अधिकारियों ने पुलिस में एफआइआर के बाद इस पूरी प्रक्रिया की समीक्षा की तो उसमें कई स्तर पर कमियां मिली।

    इन्हीं कमियों को दूर करने के लिए साचीज ने एनएचए और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआई) को पत्र लिखा है। साचीज की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अर्चना वर्मा ने बताया कि कार्ड के आवेदन, अनुमोदन और भुगतान की प्रक्रिया करने वाले की जगह का अक्षांश और देशांतर बताने की सुविधा को सॉफ्टवेयर में अपडेट करने का सुझाव दिया गया है।

    इससे गड़बड़ी करने वाली जगह का तुरंत पता चल जाएगा। आइपी एड्रेस के साथ ही लोकेशन मिलने से तुरंत उसे ब्लाक किया जा सकेगा। साथ ही सुरक्षा एजेंसियों को तुरंत सटीक सूचना दी सकेगी। स्टेट एंटी फ्राड यूनिट (एसएएफयू) को भी अलर्ट किया गया है।

    प्रदेश में 12 हजार से अधिक आयुष्मान कार्ड प्रतिदिन बनते हैं। लगभग 20 प्रतिशत कार्ड ऐसे होते हैं, जिनको अनुमोदन डाटा में मौजूद जानकारी और उसके भौतिक सत्यापन के बाद बाद ही दिया जाता है। आधार में दर्ज बायोमेट्रिक जानकारी भी सॉफ्टवेयर में अपडेट करने की तैयारी है। इससे फर्जी कार्ड बनने पर रोक लगेगी।