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    आरोग्य मंदिर में गजब खेल- डॉक्टर गायब, सफाई कर्मी दे रही दवाई

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 09:42 AM (IST)

    लखनऊ के आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही उजागर हुई है। डिगडिगा केंद्र में डॉक्टर गायब थीं, नर्स दवा दे रही थी। बड़ी जुगौली में भी डॉक्टर समय से पहले चली जाती हैं, जिससे मरीजों को परेशानी होती है। रविवार को आरोग्य मेला होने पर भी स्टाफ समय से पहले गायब था। जनता को घर के पास उपचार मिलने का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है, क्योंकि डॉक्टर और कर्मचारी अपनी मनमानी कर रहे हैं।

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    गौरी त्रिवेदी, लखनऊ। आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही फिर सामने आई है। दैनिक जागरण की पड़ताल में दो आरोग्य मंदिरों में खामियां दिखाई दी। डिगडिगा केंद्र में डाक्टर गायब थी तो नर्स ही दवाइयां दे रही थी। विशाल खंड-एक डिगडिगा, आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर भी डाक्टर का कोई अता-पता नहीं था।

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    स्वीपर सुनीता कुमारी ने आते ही कहा क्या काम है? डाक्टर तो हैं नहीं। डाक्टर कब गईं, पूछने पर जवाब मिला अभी किसी काम से गई हैं। आप बताइए, मैं दवाई दे दूंगी। स्वीपर की ओर से जुकाम की दवाई खुद देना नियम उल्लंघन है। डाक्टर गरिमा सिंह, जो केंद्र की अधीक्षिका हैं, ने कहा व्यक्तिगत कारण से जल्दी निकल आई थी, ऐसा नियमित नहीं होता।

    बड़ी जुगौली आयुष्मान आरोग्य मंदिर में तो स्थिति और भी खराब मिली। यहां तीन बजे तक डाक्टर नहीं थीं। स्टाफ ने कहा कि
    दवाइयां दो बजे तक ही मिलती हैं।

    स्थानीय लोगों ने बताया कि डाक्टर अक्सर दो या 2:30 बजे ही चली जाती हैं, जबकि सरकारी समय शाम चार बजे तक का है।किसी भी केंद्र पर समय का बोर्ड तक नहीं लगा, जिससे जनता को असली टाइमिंग की जानकारी ही नहीं होती। यही कारण है कि कर्मचारी मनमानी पर उतर आते हैं।

    यहां की अधीक्षिका विनीता श्रीवास्तव ने कहा मैं बाहर किसी काम से गई थी, कहें तो अभी लौट आती हूं लेकिन यह सवाल फिर भी बना रहता है कि संवेदनशील सेवा में बिना सूचना डाक्टर का केंद्र छोड़ देना कितना उचित है?

    रविवार को आरोग्य मेला… फिर भी समय से पहले गायब स्टाफ!

    हर रविवार आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में आरोग्य मेला लगता है, जिसमें सामान्य दिनों से अधिक मरीज आते हैं और विशेष सेवाएं दी जाती हैं। लेकिन निरीक्षण में यह भी पाया गया कि रविवार को भी स्टाफ समय से पहले ही केंद्र छोड़ गए। न डाक्टर मौजूद थीं, न दवा वितरण चलता मिला।

    स्थानीय लोगों का कहना है मेला हो या सामान्य दिन, डाक्टर समय से पहले ही चली जाती हैं। यह पूरे सिस्टम पर बड़ा सवाल है कि विशेष दिनों पर भी जवाबदेही निभाने की बजाय मनमानी जारी रहती है।

    आयुष्मान आरोग्य मंदिरों का उद्देश्य था कि जनता को घर के पास ही उपचार मिले। इसके लिए ग्रीष्मकालीन समय आठ से चार बजे और शीतकालीन समय नौ से पांच बजे तय हैं, सोमवार को अवकाश रहता है।