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Ayodhya Ram Temple News: ओली को आईना दिखाने वाला है अयोध्या का नेपाली मंदिर

Ayodhya Ram Temple News अनूठा शालिग्राम लेकर अयोध्या पहुंचीं नेपाल की रानी राजकुमारी देवी ने सन 1900 में कराई थी इस मंदिर की स्थापना।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 09:32 AM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 01:09 PM (IST)
Ayodhya Ram Temple News: ओली को आईना दिखाने वाला है अयोध्या का नेपाली मंदिर
Ayodhya Ram Temple News: ओली को आईना दिखाने वाला है अयोध्या का नेपाली मंदिर

अयोध्या [रमाशरण अवस्‍थी]।  Ayodhya Ram Temple News: नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पिछले दिनों यह कहकर विवाद को जन्म दिया था कि असली अयोध्या नेपाल के वीरगंज में है और भगवान राम वस्तुत: नेपाली थे, लेकिन अयोध्या में विभीषण कुंड के करीब स्थित नेपाली मंदिर के नाम से मशहूर कूर्मनारायण मंदिर ओली को आईना दिखाने वाला है। सच्चाई की कसौटी पर आते ही ओली के बयान की धज्जियां उड़ गईं और अब नेपाली मंदिर जैसी धरोहर उन्हें मुंह चिढ़ा रही है। इस मंदिर की स्‍थापना वर्ष 1900 में नेपाल की रानी राजकुमारी देवी ने करवाई थी।

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वास्‍तव में नेपाली मंदिर की भाव-भूमि अब से 131 वर्ष पूर्व ही तैयार होने लगी थी। तब नेपाल के मुक्ति क्षेत्र में काली गंडकी नदी के किनारे रहने वाले कुछ लोगों ने एक रात वहां ज्योतिपुंज देखा। सबेरा होने पर लोग वहां गए, तो उन्हें कच्छप रूप में विशाल शालिग्राम दिखे। वे लोग इसे लेकर काठमांडू पहुंचे और नेपाल के राजा जंगबहादुर राणा की भक्तिमती पत्नी राजकुमारी देवी से मिले। राजकुमारी देवी ने शालिग्राम को घर में ही स्थापित करने की इच्छा व्यक्त की। यह विशाल शालिग्राम अनुभवी आचार्यों और मर्मज्ञ ज्योतिषियों को दिखाया गया तो उन्होंने इसे भगवान कूर्मनारायण का स्वरूप बताया। यानी भगवान के उस स्वरूप का प्रतीक, जब वे धरती पर कछुए के रूप में अवतरित हुए थे। आचार्यों ने यह भी स्पष्ट किया कि विशाल मूर्ति को घर में रखकर पूजा करना शास्त्र सम्मत नहीं है। 

 

इस सुझाव से निराश रानी ने शालिग्राम वापस ले जाने का निवेदन किया, पर जब लोगों ने शालिग्राम उठाने की कोशिश की, तो वे टस से मस नहीं हुए। उसी रात रानी स्वप्न में प्रेरित हुईं कि भारत की पुण्यभूमि अयोध्या में मंदिर निर्माण करवाकर उसमें शालिग्राम को स्थापित किया जाय। यह स्वप्न साकार करने के लिए वे जल्दी ही अयोध्या पहुंचीं और रामनगरी के विभीषणकुंड के करीब भव्य मंदिर का निर्माण कराकर सन 1900 में भगवान कूर्मनारायण की स्थापना कराई। कुछ समय बाद रानी ने रामानुज परंपरा के आचार्य वानमामलै रामानुज जीयर स्वामी को मंदिर समि‍र्पित कर दिया और संचालन की जिम्मेदारी पं. मोदनाथ शर्मा को सौंप दी। रानी स्वयं भी अयोध्यावास करने लगीं। भगवान कूर्मनारायण का विधि-विधान से दर्शन उनका नित्य का क्रम बन गया। सन 1940 में राजकुमारी देवी का देहांत भी रामनगरी में हुआ। 

अयोध्या यदि नेपाल में होती तो रानी यहां क्यों आतीं

इन दिनों नेपाली मंदिर के निर्वाहक का दायित्व जीयर स्वामी के शिष्य स्वामी हरिप्रपन्नाचार्य निभा रहे हैं। ओली का जिक्र आने पर वह हंस पड़ते हैं। कहते हैं, यदि कोई अयोध्या नेपाल में होती, तो स्वयं नेपाल की रानी को अयोध्या आने की क्या जरूरत थी।

आकर्षक वास्तु का नमूना

नेपाली मंदिर रानी की आस्था का केंद्र होने के साथ आकर्षक वास्तु का नमूना भी है। ऊंचे टीले पर स्थापित भगवान कूर्मनारायण का मंडप सामने वाले में आस्था का सहज संचार करता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 40 सीढिय़ां चढऩी पड़ती हैं। मंदिर अतिथि गृह और गोशाला से भी युक्त है।


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