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    Ayodhya Ram Mandir: 2025 तक पूर्ण होगा राम मंदिर का निर्माण, 2023 में गर्भगृह में व‍िराजेंगे रामलला

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Sat, 30 Apr 2022 07:03 AM (IST)

    रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने बताया क‍ि अयोध्‍या में नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में रामलला को दिसंबर 2023 तक स्थापित करन ...और पढ़ें

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    नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में रामलला को स्थापित किए जाने की योजना पहले ही हो चुकी है निर्धारित।

    अयोध्या, जागरण संवाददाता। नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में तो रामलला को दिसंबर 2023 तक स्थापित करने का लक्ष्य तय किया गया है, किंतु प्रस्तावित मानचित्र के अनुरूप राम मंदिर का निर्माण वर्ष 2025 तक पूर्ण होगा। यह जानकारी रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने दी। चौपाल के अनुसार इस अवधि में संपूर्ण रामजन्मभूमि परिसर भी सांस्कृतिक उपनगरी के रूप में विकसित हो चुका होगा।

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    उन्‍होंने बताया क‍ि परिसर में ही माता सीता, गणेश, वाल्मीकि, निषादराज, शबरी और जटायु का भी स्वतंत्र मंदिर विकसित किया जाएगा। यद्यपि राम मंदिर की लागत के बारे में अभी से किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता, किंतु अनुमान है कि निर्माण के काम में एक हजार करोड़ से अधिक की राशि व्यय होगी। प्रस्तावित मंदिर 360 फीट लंबा, 235 फीट चौड़ा एवं 161 फीट ऊंचा है। तीन तल के मंदिर में 366 स्तंभ होंगे।

    भूतल के स्तंभों की संख्या 160, प्रथम तल के स्तंभों की संख्या 132 तथा दूसरे तल के स्तंभों की संख्या 74 होगी। मंदिर निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था। इन दिनों नींव के ऊपर प्लिंथ का निर्माण चल रहा है। कर्नाटक के संगमरमर से तैयार की जा रही 21 फीट ऊंची प्लिंथ पर मंदिर की मुख्य संरचना का निर्माण इसी साल अगस्त माह से शुरू होने की उम्मीद है।

    राम मंदिर में लगने को तैयार हो रहीं शिलाएं

    रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ने के साथ उन शिलाओं को भी चमकाया जा रहा है, जो दशकों पूर्व से रामघाट स्थित कार्यशाला में तराश कर रखी जा चुकी हैं। इन शिलाओं का अगस्त माह से मंदिर के निर्धारित मानचित्र के अनुरूप संयोजन शुरू होगा। इससे पूर्व तराश कर रखी गईं शिलाओं पर जमी काई और धूल को साफ किया जा रहा है। ताकि शिलाओं के संयोजन में कोई बाधा न आए और उन्हें शत-प्रतिशत सफलता के साथ यथास्थान संयोजित किया जा सके।

    शिलाओं की सफाई के लिए राजस्थान के 20 से अधिक विशेषज्ञ कारीगर लगाए गए हैं। सफाई के लिए श्रमिकों को काफी धैर्य का परिचय देना पड़ता है और वह डायमंड हैमरी नाम के पत्थर तथा पानी से तराश कर रखी गई शिलाओं के एक-एक हिस्से की सौ बार घिसाई करते हैं। हालांकि इस प्रयास के परिणाम स्वरूप शिलाएं पूरी नवीनता के साथ प्रस्तुत होती हैं। शिलाओं की सफाई का अभियान 20 दिन पूर्व ही शुरू हुआ है और इस बीच पांच से सात प्रतिशत शिलाओं की सफाई हो चुकी है।

    सफाई अभियान में शामिल खुमाराम के अनुसार जब तक इन शिलाओं का संयोजन शुरू हाेगा, तब तक दो तिहाई शिलाओं की सफाई पूर्ण कर ली जाएगी। इसके बाद यदि शिलाओं का संयोजन शुरू होगा, तो बाकी बची शिलाओं की सफाई भी आगे बढ़ती रहेगी।