'मुख्यमंत्री जी बचा लो, जो होना था हो गया', सीएम योगी से मदद की गुहार के बाद माफिया अतीक के बेटे ने कह दी ये बड़ी बात
माफिया अतीक अहमद के छोटे बेटे अली अहमद को नैनी सेंट्रल जेल से झांसी जिला कारागार में स्थानांतरित कर दिया गया। अली ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाते हुए कहा कि उसे परेशान न किया जाए। अली ने नैनी जेल में नकदी मिलने के आरोपों पर सफाई दी और कहा कि वह तो दिल्ली में लॉ की पढ़ाई कर रहा था उसे फर्जी मुकदमे में फंसाया गया है।

जागरण टीम, लखनऊ। कभी आतंक का पर्याय रहे माफिया अतीक अहमद के छोटे बेटे अली अहमद को बुधवार को नैनी सेंट्रल जेल से झांसी जिला कारागार शिफ्ट कर दिया गया। झांसी पहुंचने पर उसके चेहरे पर दहशत के भाव साफ नजर आए और मीडिया को सामने देख उसने गुहार लगाई, "मुख्यमंत्री जी से यही कहना है कि अब उसे और न सताया जाए, जो होना था, वो हो गया, सरकार के नाम पर कुछ लोग अन्यथा परेशान कर रहे हैं, उनसे बचा लीजिए।"
बीते 17 जून को डीआईजी (जेल) राजेश श्रीवास्तव ने अली की बैरक में छापेमारी की थी तब उसके पास से 1100 रुपये नकद बरामद हुए थे। लापरवाही मिलने पर डिप्टी जेलर कांति देवी और जेल वार्डर संजय द्विवेदी को निलंबित कर दिया। साथ ही अली के बैरक की निगरानी बढ़ा दी गई थी। इस घटना के बाद माना जा रहा था कि जेल बदली जाएगी। मंगलवार रात शासन से जेल स्थानांतरण का आदेश मिलते ही नैनी सेंट्रल जेल के अधिकारियों ने शिफ्टिंग की तैयारी शुरू कर दी थी।
बुधवार सुबह करीब सात बजे कड़ी सुरक्षा के बीच अली को प्रिजन वैन से झांसी ले जाकर दोपहर बाद करीब तीन बजे जिला कारागार में दाखिल किया गया। प्रयागराज में चकिया निवासी एक प्रापर्टी डीलर ने अली अहमद और उसके साथियों पर पांच करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने, जान से मारने की धमकी का मुकदमा दर्ज कराया था। उसी मुकदमे में 30 जुलाई 2022 को अली ने कोर्ट में समर्पण किया था, जहां से उसे न्यायिक अभिरक्षा में नैनी सेंट्रल जेल भेजा गया था।
इसी दौरान हुई उमेश पाल और उसके दो सरकारी गनर की हत्या मामले में भी अली को आरोपित बनाया गया। नैनी सेंट्रल जेल में अली से मिलने के लिए एक वकील गया था। उसके अगले दिन 17 जून को डीआइजी (जेल) छापेमारी कर अली के पास से नकदी बरामद की थी। तभी यह तय हो गया था कि जेल बदली जाएगी।
झांसी में अली ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाने सहित नैनी जेल में पैसा मिलने और अन्य आरोपों को लेकर भी सफाई दी। अली बोला कि वह तो दिल्ली में लॉ की पढ़ाई कर रहा था। फर्जी मुकदमा लगाकर उसे जेल भेज दिया गया। जेल में रहते हुए उस पर आठ मुकदमे लगा दिए गए। जान का खतरा होने के सवाल पर कहा कि झांसी जेल में सुरक्षित रहेंगे या नहीं? यह तो अल्लाह ही जानता है। अली ने कहा कि वह नैनी सेंट्रल जेल में पूरे नियम कायदे के साथ रह रहा था, लेकिन परेशान करने के मकसद से गृह जिले से 450 से 500 किलोमीटर दूर झांसी जेल भेज दिया गया है।
नैनी जेल में उसके पास रुपये मिलने के आरोपों पर सफाई देते हुए कहा कि उसके पास 1100 से 1200 रुपए मिले थे। यह पैसा कूपन का था, जिसे रखने की जेल में अनुमति होती है। उसे किसी दूसरे तरीके से दिखाया जा रहा है। नैनी जेल में अधिवक्ताओं के रूप में अन्य लोगों से मिलने के सवाल पर कहा कि उससे मिलने के लिए अधिवक्ताओं के अलावा कोई नहीं आता था, उनका वकालतनामा लगता था। जेल मैन्युअल के अनुसार ही मुलाकात होती थी।
सुरक्षित बैरक में अली को रखा गया
नैनी जेल से अली अहमद को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में लाया गया। उसकी सुरक्षा में एक इंस्पेक्टर, दो सब इंस्पेक्टर, सात सशस्त्र सिपाही लगे हुए थे। उसको सुरक्षा के लिहाज से अलग बैरक में रखा गया है। अली आरोप लगाया कि उसे रास्ते में पानी तक पीने को नहीं दिया गया। नैनी सेंट्रल जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक विजय विक्रम सिंह के अनुसार शासनादेश मिलने पर बंदी अली को झांसी जेल में शिफ्ट कराया गया है।
निलंबित जेल कर्मियों ने कहा था, उनके सामने लेनदेन नहीं अली अहमद के पास नकदी मिलने के मामले में प्रथमदृष्टया लापरवाही सामने आने पर कार्रवाई की जद में आए डिप्टी जेलर कांति देवी व जेल वार्डर संजय द्विवेदी ने विभागीय जांच समिति के समक्ष कहा था कि उनके सामने पैसे का लेनदेन नहीं हुआ था। निलंबन के दौरान ही कांति देवी सेवानिवृत्त हो गई, जबकि संजय को कारागार मुख्यालय से संबद्ध किया गया है।
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