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    मजदूरी के पैसे से मां ने दिलाया था पहला बैडमिंटन, पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मनोज ने बताई सफलता की कहानी

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Wed, 30 Dec 2020 08:33 AM (IST)

    अर्जुन अवॉर्डी और अंतरराष्ट्रीय पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी ने साझा किए करियर के शुरुआती दिनों के संघर्ष। बोले गलत दवा खाने और अच्छा इलाज नहीं मिल पाने से हुआ था दिव्यांग। जब खिलाड़ी बना और पैसा आया तो डॉक्टरों ने कहा कि अब ठीक नहीं हो सकता।

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    पुलिस ने सीसी कैमरे की फुटेज बरामद कर ली है।

    लखनऊ, [विकास मिश्र]। जब आपके पास दो जून की रोटी का संकट हो तो खेल का शौक नहीं बल्कि, परिवार की जिम्मेदारी से कंधा दब जाता है। मां का हौसला गजब था। हार न मानने की जिद और विपरीत परिस्थितियों में मनोबल मजबूत रखना मैैंने उन्हीं से सीखा है। जब मैैंने उनसे बैडमिंटन सीखने और खिलाड़ी बनने की इच्छा जताई तो वह थोड़ी देर के लिए सोच में पड़ गईं थीं, लेकिन शाम अगली सुबह उठा तो मेरे सिर के पास एक रैकेट रखा था। यह रैकेट मां ने मजदूरी के पैसे से दिलाया था। मैैं उस समय करीब दस साल का था। यह मेरे लिए कभी न भूलने वाला दिन था। यह कहना है अर्जुन अवॉर्डी और अंतरराष्ट्रीय पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मनोज सरकार का। मनोज लखनऊ में चल रहे भारतीय पैरा बैडमिंटन टीम के कैंप से अगले महीने जुड़ेंगे।

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    दैनिक जागरण से खास बातचीत में उत्तराखंड के मूल निवासी मनोज सरकार ने बताया कि उनका बचपन बेहद गरीबी में बीता। उनकी मां जमुना सरकार बीड़ी बनाने और मटर तोडऩे का काम करती थीं। लेकिन, इसके बावजूद मनोज की मां ने खुद के साथ ही परिवार का भी हौसला कभी कमजोर नहीं होने दिया। उन्होंने कोच की तरह हर कदम पर मनोबल बढ़ाया। मैैं पहली बार वर्ष 2011 में राष्ट्रीय चैैंपियन बना था। वह दिन मेरे परिवार के लिए बेहद यादगार था। सभी बहुत खुश थे। मुझसे मेरे भाई और मां को बहुत उम्मीदें थीं। सपना बड़ा होने के कारण थोड़ा दबाव भी था, लेकिन मां का आशीर्वाद और कोच पीके सेन (अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन के पिता) मार्गदर्शन से सफलताएं मिलती गईं। मनोज अपनी मां को ही अपना आदर्श मानते हैैं। फिलहाल, उनकी मां अब इस दुनिया में नहीं हैैं।

    सही उपचार नहीं मिलने से दिव्यांग हुआ

    मनोज बताते हैैं कि जब मैैं डेढ़ साल का था तो मुझे तेज बुखार आया था। इस दौरान गलती से एक दवा ज्यादा खा लिया था। उसका शरीर पर बहुत गंभीर दुष्प्रभाव पड़ा। इसके कारण मेरे एक पैर में कमजोरी आ गई थी। आर्थिक स्थिति अच्छी न होने से किसी अच्छे डॉक्टर से इलाज मुश्किल था। जब खिलाड़ी बना और पैसा आया तो डॉक्टरों ने कहा कि अब ठीक नहीं हो सकता। लेकिन, इसकी वजह से मुझे कोई मलाल नहीं है।

    अब तक 47 अंतरराष्ट्रीय पदक जीते:

    मनोज सरकार की पैरा बैडमिंटन में वर्तमान विश्व रैैंकिंग तीन है। वह बेजोड़ शटलर माने जाते हैैं। मनोज आगामी टोक्यो पैरा ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के बेहद करीब हैैं। इस दिग्गज बैडमिंटन खिलाड़ी ने अभी तक अपने करियर में 15 स्वर्ण सहित कुल 47 अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैैं। हाल ही में मनोज की शादी हुई है। इसी कारण लखनऊ में चल रहे भारतीय पैरा बैडमिंटन टीम के कैंप में वह अभी जुड़ नहीं सके हैैं। उन्होंने बताया कि ओलंपिक की तैयारी के लिए अगले माह वह टीम से जुड़ेंगे। मनोज ने भारतीय टीम को कोच और द्रोणाचार्य अवॉर्डी गौरव खन्ना की भी खूब तारीफ की। बोले, हम लोग भाग्यशाली हैैं कि गौरव सर हमारे कोच हैैं। उन्होंने खिलाडिय़ों को हमेशा भाई की तरह सपोर्ट किया है। उनके टीम से जुडऩे के बाद हम सभी की किस्मत बदल गई।