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    किसी और का चेहरा दिखाकर अमित टाटा ने ही करोड़ों की फेंसेडिल सीरप का किया था भंडारण, शुभम के साथ चला रहा था तस्करी गिरोह

    Updated: Fri, 28 Nov 2025 07:24 PM (IST)

    नशे में इस्तेमाल होने वाली फेंसेडिल सीरप और कोडिन युक्त दवाओं की तस्करी करने वाले अमित सिंह उर्फ अमित टाटा को गिरफ्तार करने के बाद एसटीएफ के हाथ कई अहम जानकारियां लगी हैं। जांच में सामने आया कि किसी और का चेहरा दिखाकर अमित टाटा ही तस्करी का गिरोह चला रहा था। 

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    जागरण संवाददाता, लखनऊ। नशे में इस्तेमाल होने वाली फेंसेडिल सीरप और कोडिन युक्त दवाओं की तस्करी करने वाले अमित सिंह उर्फ अमित टाटा को गिरफ्तार करने के बाद एसटीएफ के हाथ कई अहम जानकारियां लगी हैं। जांच में सामने आया कि किसी और का चेहरा दिखाकर अमित टाटा ही तस्करी का गिरोह चला रहा था। पूर्व सांसद बाहुबली का करीबी होने के कारण कोई उसका विरोध भी नहीं कर पाता था। उधर, एसटीएफ से बर्खास्त सिपाही से पूछताछ करने की तैयारी में एसटीएफ की टीम है।

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    जौनपुर के सुरेरी स्थित भोड़ा सीटूपुर गांव के रहने वाले अमित कुमार सिंह उर्फ अमित टाटा इस खेल में साझेदार के रूप में जुड़ा था। कुछ ही वक्त में फेंसेडिल सीरप में ज्यादा लाभ देखकर खुद भी तस्करी में शामिल हो गया। बाहुबली के दम पर कुछ ही दिन में तस्करी गिरोह को लीड करने लगा।

    सूत्र बताते हैं कि बांग्लादेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों में तस्करी होने से पहले अमित को पूरी जानकारी दी जाती थी। एसटीएफ के हाथ में जांच आई तो एबाट कंपनी को पत्र लिखा गया था, जिसके बाद कफ सीरप बनाना बंद कर दिया था, लेकिन कंपनी के अधिकारियों से मिलकर डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा की सीरप का भंडारण अमित ने कर लिया था। लाभ ज्यादा होने के कारण किस्तों में तस्करी की जाने लगी। जांच के दौरान कुछ-कुछ हिस्सों में माल पकड़ा जाने लगा, फिर चार प्रमुख लोगों की गिरफ्तारी हुई तो सप्लाई बंद कर दी थी।

    एसटीएफ की पूछताछ में अमित ने बात भी स्वीकारी कि पकड़ा न जाए, इसके लिए किसी और का चेहरा दिखा रखा था। इस मामले में अपर पुलिस अधीक्षक लाल प्रताप सिंह ने बताया कि मामले की जांच चल रही है। तस्करी के पीछे जो प्रमुख व्यक्ति है, चाहे वह कोई भी हो, उसे गिरफ्तार किया जाएगा।


    एसटीएफ का बर्खास्त सिपाही रडार पर

    पुलिस सूत्रों ने बताया कि गिरोह को चलाने के लिए विभागीय लोगों को भी जोड़ रखा था। यह लोग विभागीय जांच की सूचना इन लोगों को देते थे, ताकि पकड़े न जाएं। इसके साथ ही मुकदमा दर्ज होने के बाद जांच में क्या चल रहा था, उसका पता करने के लिए एसटीएफ के एक बर्खास्त सिपाही की मदद भी ले रहे थे। यह व्यक्ति अपने लोगों से बात कर पूरी सूचनाएं गिरोह तक पहुंचाता था। इस मामले में अपर पुलिस अधीक्षक का कहना है कि बर्खास्त सिपाही के खिलाफ जांच चल रही है, जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

    एक सीरप पर 70 प्रतिशत से ज्यादा फायदा

    पुलिस ने बताया कि कोडिन युक्त दवाएं तो बहुत कंपनी बनाते हैं, लेकिन फेंसेडिल सीरप में बहुत फायदा होता है। इसी के चलते तस्कर इसको खरीब कर सप्लाई करते हैं। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि एक सरीप पर 70 प्रतिशत से ज्यादा
    का फायदा होता है। एक सीरप पांच से छह सौ रूपये की बिकती है, लेकिन वह महज सौ रूपये से कम की आती है।