न जरूरी उपकरण और न ही सुरक्षा मानक, नियम ताक पर - बस दौड़ रहीं एम्बुलेंस
सेवा कार्य के नाम पर आरटीओ में 1008 एम्बुलेंस दर्ज हैं, जिनमें से 514 एम्बुलेंस मानकों के विरुद्ध चल रही हैं।
लखनऊ, [नीरज मिश्र]। न जरूरी उपकरण और न ही सुरक्षा मानक। अधिकांश वाहनों की फिटनेस तक नहीं। पर एम्बुलेंस के रूप में संचालित हो रही हैं। नीली बत्ती लगा हूटर बजाती चल रहीं इन गाड़ियों में न तो मरीज सुरक्षित हैं न ही तीमारदार। केजीएमयू ट्रामा सेंटर सहित शहर के सभी अस्पतालों के बाहर ऐसी एम्बुलेंस खड़ी मिल जाएंगी। सेवा कार्य के नाम पर आरटीओ में 1008 एम्बुलेंस दर्ज हैं, जिनमें से 514 एम्बुलेंस मानकों के विरुद्ध चल रही हैं। वैन संचालक निजी गाड़ियों को एम्बुलेंस बना धनउगाही कर रहे हैं।
पकड़ी गईं आठ एंबुलेंस, तब हुआ खुलासा
बीते दिनों अपर परिवहन आयुक्त ने अचानक ट्रामा सेंटर के बाहर जांच की तो आठ गाड़ियां पकड़ी गईं। जो निजी नाम से पंजीकृत थीं। उनके पास न तो कागजात थे न जरूरी उपकरण। फिटनेस तक नहीं थी। मड़ियांव थाने में इन वाहनों को बंद कराया गया।
यह है व्यवस्था
- एम्बुलेंस वाहन निजी नाम से पंजीकृत नहीं हो सकता है।
- उसे किसी संस्था, निजी अथवा सरकारी अस्पताल के नाम व पते से ही लिया जा सकता है।
- एम्बुलेंस के नाम रजिस्ट्रेशन कराने से टैक्स से छूट मिलती है।
- वन टाइम टैक्स की व्यवस्था है
- फिटनेस आवश्यक है। वजह गाड़ी सुरक्षित हो।
क्या कहते हैं अफसर ?
अपर परिवहन आयुक्त गंगाफल के मुताबिक, लगातार हर दूसरे दिन छापा मारा जाएगा। एम्बुलेंस के नाम पर पंजीकृत 514 वाहनों के पत्रवलियों की जांच शुरू कर दी गई है। रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
ये होना आवश्यक: बेसिक लाइफ सपोर्ट(बीएलएस)
एम्बुलेंस में मरीज के लिए प्रारंभिक उपचार की व्यवस्था होनी चाहिए। जरूरी दवाएं के साथ ब्लड प्रेशर जांच की मशीन समेत कई अन्य उपकरण होना जरूरी है। रास्ते में मदद के लिए प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी भी साथ में होना जरूरी है। एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस): प्राथमिक उपचार, स्टेचर, ट्रैक्शन डिवाइस, कार्डियक मॉनीटर, बीपी मॉनीटर, ऑक्सीजन मशीनों का जानकार भी एंबुलेंस में होना चाहिए।