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    यूपी में स्कूलों पर कसेगा शिकंजा! इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा- क्या कार्रवाई की जा रही है?

    न्यायमूर्ति आलोक माथुर एवं न्यायमूर्ति अरूण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने हाल ही में दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई की। हाई कोर्ट ने प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों के तहत बिना मान्यता के चल रहे प्राइवेट स्कूलों को लेकर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। पूछा कि ऐसे स्कूलों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा रही है।

    By Jagran News Edited By: Aysha Sheikh Updated: Tue, 16 Jul 2024 04:25 PM (IST)
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    स्कूल में पढ़ाती हुई शिक्षिका - प्रतीकात्मक फोटो।

    विधि संवाददाता, लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों के तहत बिना मान्यता के चल रहे प्राइवेट स्कूलों को लेकर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। इनमें बेसिक और जूनियर हाईस्कूल दोनों प्रकार के स्कूल शामिल हैं। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि ऐसे स्कूलों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा रही है। मामले की अगली सुनवाई 24 जुलाई को होगी।

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    न्यायमूर्ति आलोक माथुर एवं न्यायमूर्ति अरूण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने हाल ही में दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। याचिका में कहा गया था कि लखीमपुर में तमाम ऐसे स्कूल हैं जो कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत बिना मान्यता के ही चल रहे हैं। इन स्कूलों के बारे अखबारों में आए दिन छपता रहता है।

    याची का कहना था कि इस संबध में उसने प्रमुख सचिव शिक्षा से भी शिकायत की, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि याचिका में उठाया गया विषय केवल लखीमपुर तक ही सीमित नहीं है अपितु यह पूरे प्रदेश का प्रकरण है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे में वह इस मसले को पूरे प्रदेश के परिदृश्य में देख रहा है।

    जिला शिक्षा अधिकारी को तैयार करनी होगी सूची

    याचिका में कहा गया है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 और इसके तहत बनी नियमावली 2011 के अनुसार जिला शिक्षा अधिकारी का यह दायित्व होगा कि वह यह सुनिश्चत करे कि अधिनियम लागू होने के तीन वर्ष के भीतर नए और पुराने सभी स्कूल इसके प्रावधानों के तहत मान्यता प्राप्त कर लें और यदि तीन वर्ष बाद भी ऐसे स्कूल मान्यता नहीं प्राप्त करते तो ऐसे स्कूलों सूची तैयार करें। तर्क दिया गया कि नियमों के तहत अधिनियम 2009 के लागू होने के तीन वर्ष बाद भी जिन स्कूलों ने अधिनियम के नियमों के तहत फार्म पर नियमानुसार घोषणा करके मान्यता न प्राप्त की, वे बंद करा दिये जायेंगे।

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