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    UP News: हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के खिलाफ उठाया कदम, दिव्यांग छात्र को 10 लाख क्षतिपूर्ति देने का आदेश

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Fri, 21 Oct 2022 12:04 AM (IST)

    Allahabad High Court Lucknow Bench दिव्यांग छात्र को सीट आवंटित होने के बावजूद दाखिला न दिए जाने पर राज्य सरकार को छात्र को दस लाख रुपये बतौर क्षतिपूर ...और पढ़ें

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    Allahabad High Court Lucknow Bench: दिव्यांग छात्र को सीट आवंटित होने के बाद भी नहीं मिला था दाखिला

    लखनऊ, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक दिव्यांग छात्र को सीट आवंटित होने के बावजूद दाखिला न दिए जाने पर राज्य सरकार को छात्र को दस लाख रुपये बतौर क्षतिपूर्ति देने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि सरकार यह धनराशि जिम्मेदार पाए जाने वाले अधिकारियों से वसूल सकती है।

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    कोर्ट ने क्षतिपूर्ति देने के लिए दो महीने का समय दिया है, साथ ही यह भी चेतावनी दी है कि यदि दो महीने में क्षतिपूर्ति की रकम नहीं दी जाती तो प्रतिवर्ष नौ प्रतिशत सलाना की ब्याज से उक्त रकम चुकानी होगी। छात्र का सिक्योरिटी अमाउंट भी नौ प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया गया है।

    दाख‍िला लेने पहुंचा तो कहा गया सीट फुल है 

    यह आदेश जस्टिस पंकज भाटिया की एकल पीठ ने छात्र सत्यम वर्मा की याचिका पर पारित किया। याची का कहना था कि प्री-आयुष टेस्ट 2016 में उसकी कैटेगारी रैंक 5336 आई थी। मेडिकल बोर्ड द्वारा उसे 50 से 70 प्रतिशत तक विकलांग पाया गया था। इसके बाद उसने 15 नवम्बर 2016 को द्वितीय काउंसलिंग में भाग लिया।

    उसे एक सरकारी कालेज साहू रामनारायण मुरली मनोहर आयुर्वेदिक कालेज, बरेली में सीट आवंटित की गई। जब याची वहां दाखिला लेने पहुंचा तो उसे बताया गया कि वहां की सभी सीटें भर चुकी हैं। याचिका पर जवाब देते हुए कालेज की ओर से कहा गया कि तत्कालीन निदेशक आयुर्वेद द्वारा काउंसलिंग बोर्ड को बताया गया था कि याची ने प्रवेश लेने से मना कर दिया था।

    कोर्ट ने कहा- सीट दूसरे को देकर गलत क‍िया 

    याचिका का राज्य सरकार और महानिदेशक, चिकित्सा शिक्षा की ओर से विरोध किया गया। कोर्ट ने सभी परिस्थितियों पर गौर करने के उपरांत पारित अपने आदेश में कहा कि याची के लिए रिक्त रखी गई सीट दूसरे को आवंटित कर गलत किया गया। चिकित्सा शिक्षा व उक्त कालेज राज्य सरकार के अंग हैं लिहाजा उनके द्वारा किए गए गलत कृत्य की जिम्मेदारी भी राज्य सरकार की ही है।