Neha Singh Rathore: लोक गायिका नेहा सिंह राठौर 26 को पुलिस के सामने होंगी पेश, हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ का आदेश
High Court Refuses Petition of Neha Singh Rathore कोर्ट ने इस मामले में कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी नागरिकों हक है किंतु संविधान इस पर युक्तियुक्त प्रतिबंध लगाने की बात भी कहता है। इस मामले में दर्ज प्राथमिकी और विवेचना के दौरान अब तक आए सबूतों से साफ है कि याची नेहा ने प्रथमदृष्टया अपराध किया है अतः प्राथमिकी रद नहीं की जा सकती है।

विधि संवाददाता, जागरण, लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने पहलगाम में 26 पर्यटकों का धर्म पूछकर हत्या करने के मामले में कथित अनर्गल व देश विरोधी बयानबाजी करने वाली लोक गायिका नेहा सिंह राठौर को राहत देने से इन्कार कर दिया है। नेहा सिंह राठौर ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के खिलाफ इंटरनेट मीडिया पर बयानबाजी की थी। इस प्रकरण में नेहा के खिलाफ लखनऊ में मुकदमा दर्ज किया गया है।
नेहा सिंह राठौर ने दर्ज प्राथमिकी रद करने की मांग का लेकर कोर्ट गईं तो लखनऊ खंडपीठ ने उनकी याचिका खारिज करने के साथ ही आदेश दिया कि वह 26 सितंबर को विवेचक के सामने पूछताछ के लिए हाजिर हों। यह आदेश जस्टिस राजेश सिंह चौहान व जस्टिस एस क्यू एच रिजवी की पीठ ने गत 19 सितंबर को नेहा की याचिका पर पारित किया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता को जांच में भाग लेने का निर्देश दिया जाता है, जो आरोपित एफआईआर के अनुसार लंबित है। वह जांच में सहयोग करने के लिए 26 सितंबर को सुबह 11 बजे जांच अधिकारी के सामने उपस्थित हो और पुलिस रिपोर्ट दाखिल होने तक जांच में सहयोग करती रहें।
कोर्ट ने इस मामले में कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी नागरिकों हक है, किंतु संविधान इस पर युक्तियुक्त प्रतिबंध लगाने की बात भी कहता है। इस मामले में दर्ज प्राथमिकी और विवेचना के दौरान अब तक आए सबूतों से साफ है कि याची नेहा ने प्रथमदृष्टया अपराध किया है, अतः प्राथमिकी रद नहीं की जा सकती है। याचिका में नेहा के खिलाफ गत 27 अप्रैल, 2025 को लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज प्राथमिकी को रद करने व गिरफ्तारी से छूट की मांग की थी। नेहा की ओर से तर्क था कि उनकी अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई है।
याचिका का सरकारी अधिवक्ता डॉक्टर वीके सिंह ने विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में याची ने संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत संविधान में प्रदत्त अभिव्यक्ति की आजादी के दायरे का उल्लंघन किया है और उन्होंने न केवल प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और भाजपा के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की है अपितु उन्होंने उस समय देश विरोधी बयानबाजी की जब पाकिस्तान के साथ तनाव चरम पर था। इस मामले में कहा गया कि नेहा के बयानों ने पाकिस्तान में इंटरनेट मीडिया पर काफी प्रशंसा बटोरी थी। इसके साथ ही कहा गया कि बिहार चुनावों को लेकर भी नेहा की बयानबाजी अभिव्यक्ति की आजादी की सीमा के बाहर थी। सिंह ने कहा कि विवेचना के दौरान नेहा के खिलाफ काफी सबूत मिले हैं और विवेचना नियमानुसार चल रही है जिसमें को दखल देने की आवश्यकता नहीं है।
नेहा के खिलाफ प्राथमिकी को रद करने की मांग करते हुए, उनके वकील ने तर्क दिया कि उन्हें भारत केसंविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सोशल मीडिया पर अपने विचार व्यक्त करने का मौलिक अधिकार है और राज्य का कोई भी प्राधिकारी ऐसे मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकता है। कोर्ट ने अपनी राय में कहा कि इन पोस्टों में प्रधानमंत्री के नाम का अपमानजनक तरीके से इस्तेमाल किया गया था। न्यायालय ने यह भी कहा कि राठौर ने भाजपा पर अपने निहित स्वार्थों के लिए पाकिस्तान के साथ युद्ध छेड़ने का आरोप लगाया है।
गौरतलब है कि नेहा सिंह राठौर के खिलाफ लखनऊ के हजरतगंज थाने में अप्रैल में एफआईआर दर्ज की गई थी। उन पर विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज हुआ, जब उन्होंने एक्स (X) पर पोस्ट किया कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद मोदी बिहार आए ताकि पाकिस्तान को धमका सकें।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।