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    सीतापुर में प्राइमरी स्कूलों के विलय पर हाई कोर्ट का यथास्थिति का आदेश

    Updated: Thu, 24 Jul 2025 03:25 PM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सीतापुर जिले के प्राइमरी स्कूलों के विलय के संबंध में राज्य सरकार को अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश किये गए कुछ दस्तावेजों में घोर विरोधाभास पाने के कारण यह आदेश पारित किया है।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    विधि संवाददाता, लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सीतापुर जिले के प्राइमरी स्कूलों के विलय के संबंध में राज्य सरकार को अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश किये गए कुछ दस्तावेजों में घोर विरोधाभास पाने के कारण यह आदेश पारित किया है।

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    कोर्ट ने अपीलकर्ताओं को कहा है कि वे इन दस्तावेजों के खिलाफ अपना जवाब अगली सुनवाई तक दाखिल कर सकते हैं। स्पष्ट किया है कि इस अंतरिम आदेश का राज्य सरकार की पेयरिंग पालिसी या इसके क्रियान्वयन से कोई लेना देना नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी।

    यह आदेश चीफ जस्टिस अरुण भंसाली व जस्टिस जसप्रीत सिंह की पीठ ने मास्टर नितीश कुमार व धर्म वीर की ओर से अलग अलग दाखिल दो विशेष अपीलों पर सुनवाई करते हुए पारित किया। ये विशेष अपीलें एकल पीठ के गत सात जुलाई के उस फैसले के खिलाफ दाखिल की गईं हैं जिसमें एकल पीठ ने राज्य सरकार के विलय संबधी 16 जून के आदेश पर मुहर लगाते हुए रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

    अपीलार्थियों का प्रमुख तर्क है कि पेयरिंग करने में राज्य सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत पड़ोस में शिक्षा पाने के हक का उल्लंघन किया है। यह भी तर्क दिया गया है कि राज्य सरकार का आदेश संविधान के अनुच्छेद 21ए का उल्लंघन है। सुनवाई के दौरान बेंच ने पाया कि एकल पीठ ने अपने फैसले में सरकार के कुछ दस्तावेजों पर भी भरोसा किया था।

    हालांकि वे दस्तावेज रिकार्ड पर नहीं थे, क्योंकि सरकार की ओर से कोई जवाबी हलफनामा नहीं पेश किया गया था। कोर्ट के कहने पर राज्य सरकार की ओर से उन दस्तावेजों को शपथ पत्र के जरिये रिकार्ड पर पेश किया गया।

    दस्तावेजों को रिकार्ड पर लेने के बाद कोर्ट ने अपीलकर्ताओं को उनका जवाब पेश करने के लिए मौका देते हुए उपरोक्त अंतरिम आदेश पारित किया है।