लखनऊ खंडपीठ में बहराइच के सैय्यद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर लगने वाले मेले पर रोक की सुनवाई जारी
प्रकरण की सुनवाई के दौरान कोर्ट को जानकारी मिली कि याची वक्फ यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड से रजिस्टर्ड है। वक्फ की प्रबंध समिति के पूर्व चेयरमैन सैय्यद शमशाद अहमद थे जिनका निधन हो गया है। कोर्ट को बताया गया कि अहमद के निधन के बाद नया चेयरमैन चुना गया है।

विधि संवाददाता, लखनऊ : बहराइच में सैय्यद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर लगने वाले मेले पर से रोक हटाने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में लगातार सुनवाई जारी है। मेले पर लगी रोक को बहाल करने की मांग के मामले में कोर्ट ने याची से पूछा है कि उसने किस अधिकार से याचिका दाखिल की है। न्यायमूर्ति ए आर मसूदी व न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव प्रथम की पीठ ने याची वक्फ की ओर से दाखिल रिट याचिका पर यह आदेश पारित किया है।
कोर्ट ने याची वक्फ नंबर 19 दरगाह शरीफ की ओर से याचिका पेश करने वाले बकाउल्ला से जवाब तलब किया है कि वे किस आधार पर अपने को दरगाह शरीफ का चेयरमैन बता रहे हैं और क्या उन्हें दरगाह शरीफ की प्रबंध समिति से प्रश्नगत याचिका दाखिल करने का अधिकार प्राप्त है। कोर्ट ने याची को अपना जवाब देने का मौका देते हुए मामले की अगली सुनवाई 19 मई को नियत की है।
प्रकरण की सुनवाई के दौरान कोर्ट को जानकारी मिली कि याची वक्फ यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड से रजिस्टर्ड है। वक्फ की प्रबंध समिति के पूर्व चेयरमैन सैय्यद शमशाद अहमद थे, जिनका निधन हो गया है। कोर्ट को बताया गया कि अहमद के निधन के बाद नया चेयरमैन चुना गया है। कोर्ट ने पाया कि याचिका में किसी ऐसे दस्तावेज का उल्लेख नहीं किया गया है, जिससे स्पष्ट हो सके कि बकाउल्ला को चेयरमैन चुना गया हेा। कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट ही नहीं है कि प्रबंध समिति की ओर से बकाउल्ला याचिका करने के लिए अधिकृत हैं या नहीं।
वहीं याची वक्फ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता लालता प्रसाद मिश्रा ने एक बार फिर से कोर्ट पर दबाव बनाने की कोशिश करते हुए कहा कि याची को याचिका दाखिल करने का अधिकार है या नहीं यह इस याचिका का विषय नहीं है अपितु विषय यह है कि जब महाकुम्भ और अन्य मेले लग सकते हैं तो इस उर्स पर रोक क्यों लगाई गई है। उन्होंने कहा कि सरकार धार्मिक आजादी को छीन रही है। इस पर कोर्ट ने कहा कि याची की ओर से याचिका पोषणीय है या नहीं यह देखना भी कोर्ट का अधिकार है और अन्य तथ्य बाद में देखे जायेगें।
कोर्ट के रूख को देखते हुए मिश्रा ने कहा कि वह शनिवार को जरूरी कागज कोर्ट में पेश कर देगें अतः याचिका पर सुनवाई के लिए शनिवार की तारीख दे दी जाये। कोर्ट ने कहा कि शनिवार को अवकाश है और उसे विषेश पीठ का गठन करने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार केवल चीफ जस्टिस को है। हांलाकि कोर्ट ने साफ किया कि याची चीफ जस्टिस को विषेश पीठ के गठन के लिए निवेदन करने को स्वतंत्र है।
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