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    BJP सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमा हाई कोर्ट से खारिज, अयोध्या में दर्ज हुई थी FIR

    By Umesh TiwariEdited By:
    Updated: Tue, 19 Jul 2022 10:17 PM (IST)

    UP Latest News भाजजा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के विरुद्ध अयोध्या में वर्ष 2014 में आइपीसी की धारा 188 के तहत एक एफआइआर दर्ज की गई थी। आरोप था कि उन्होंने सीआरपीसी की धारा 144 का उल्लंघन करते हुए लोकसेवक के विधिवत रूप से प्रख्यापित आदेश की अवहेलना की है।

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    UP Latest News: हाई कोर्ट ने कहा कि आइपीसी की धारा 188 के तहत नहीं दर्ज की जा सकती एफआइआर।

    लखनऊ, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कहा है कि आइपीसी की धारा 188 के तहत प्राथमिकी नहीं दर्ज की जा सकती। इसके साथ ही कोर्ट ने भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ अयोध्या में चल रहे एक आपराधिक मामले को रद कर दिया है। कोर्ट ने सांसद के खिलाफ दाखिल चार्जशीट व तलबी आदेश को भी निरस्त कर दिया है।

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    यह आदेश जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की याचिका को मंजूर करते हुए पारित किया है। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा है कि सरकारी अधिवक्ता राव नरेन्द्र सिंह इस कानूनी तथ्य को झुठला नहीं सके कि आइपीसी की धारा 188 के तहत प्राथिमिकी दर्ज नहीं की जा सकती, अपितु संबंधित अदालत में केवल परिवाद दायर किया जा सकता है।

    हाई कोर्ट ने कहा कि इस केस में याचिकाकर्ता के खिलाफ न केवल धारा 188 के तहत प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी बल्कि आरोपपत्र भी प्रेषित कर दिया गया। वहीं, संबंधित अदालत ने बिना कानूनी प्रविधान पर अपने विवेक का प्रयोग किए तलबी आदेश भी जारी कर दिया।

    दरअसल, सांसद बृजभूषण शरण सिंह के विरुद्ध अयोध्या के रामजन्म भूमि थाने में वर्ष 2014 में आइपीसी की धारा 188 के तहत एक एफआइआर दर्ज की गई थी। जिसमें आरोप था कि उन्होंने सीआरपीसी की धारा 144 का उल्लंघन करते हुए लोकसेवक के विधिवत रूप से प्रख्यापित आदेश की अवहेलना की है। पुलिस ने विवेचना के बाद याची के खिलाफ निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था जिस पर संज्ञान लेते हुए एसीजेएम प्रथम, फैजाबाद ने 11 जून 2015 को याची को समन जारी किया था।

    याची ने आरोपपत्र व समन आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए दलील दी कि सीआरपीसी के प्रविधानों के अंतर्गत आइपीसी की धारा 188 के तहत सरकारी अधिकारी द्वारा मात्र परिवाद दाखिल किया जा सकता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धारा-188 के तहत न तो एफआइआर दर्ज हो सकती है और न ही चार्जशीट पर निचली अदालत संज्ञान ले सकती है। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के उपरांत बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ उक्त मामले से संबंधित पूरी प्रक्रिया को भी खारिज कर दिया है।