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    बहराइच में मसूद गाजी की दरगाह पर उर्स मामले में HC की टिप्पणी, कहा-धार्मिक रिवाजों में छोटे-छोटे कारणों से राज्य का हस्तक्षेप अनुचित

    Updated: Sat, 19 Jul 2025 09:25 AM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बहराइच दरगाह उर्स मामले में कहा कि सरकार छोटे कारणों से धार्मिक रिवाजों को नहीं रोक सकती खासकर जब उनसे सामाजिक सौहार्द बढ़ता हो। अदालत ने उर्स आयोजन को लेकर सरकार की आशंकाओं को निर्मूल बताया क्योंकि अंतरिम आदेश के तहत शांति बनी रही। न्यायालय ने दरगाह प्रबंधन समिति को भविष्य में बेहतर प्रबंधन और सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश दिए।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

     विधि संवाददाता, जागरण, लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बहराइच के सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर सालाना लगने वाले उर्स को लेकर दायर याचिका की सुनवाई के दौरान शुक्रवार को टिप्पणी की कि सामान्य परिस्थितियों में वे सभी धार्मिक रिवाज जो लंबे समय से प्रचलित हैं, राज्य सरकार द्वारा छोटे-छोटे कारणों से रोके नहीं जा सकते। खासकर तब जब ये प्रथाएं समाज में सांस्कृतिक सौहार्द को बढ़ावा देती हैं।

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    न्यायालय ने कहा कि मामले में 17 मई को पारित अंतरिम आदेश के तहत किए गए प्रबंधों के दौरान शांति और सौहार्द बना रहा, लिहाजा निर्धारित तिथियों में उर्स अथवा मेला के आयोजन को लेकर राज्य सरकार की सभी आशंकाएं भी निर्मूल साबित हुई हैं।

    यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने वक्फ नंबर 19 दरगाह शरीफ, बहराइच व अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया। दरगाह पर सालाना उर्स की अनुमति जिलाधिकारी द्वारा नहीं मिलने पर हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं थीं, जिस पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने 17 मई को फैसला सुरक्षित कर लिया था, साथ ही पारंपरिक क्रिया-कलाप जारी रखने की अनुमति दी थी।

    याचिकाओं का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से मुख्य रूप से यह दलील दी गई थी कि दरगाहशरीफ के आसपास का क्षेत्र अत्यंत संवेदनशील है। यह नेपाल की खुली सीमा से सटा है। पहलगाम में पर्यटकों पर हुए हमले को देखते हुए व भारत-नेपाल सीमा से आने-जाने वाली भीड़ के बीच राष्ट्रविरोधी और संदिग्ध तत्वों की घुसपैठ की प्रबल आशंका बनी रहती है।

    राज्य सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि इन दिनों पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं, ऐसे में यदि आकस्मिक रूप से आपातकाल घोषित करना पड़े तो मेला क्षेत्र में भीड़ की उपस्थिति के कारण क्षेत्र को पूर्णतः ब्लैकआउट करना संभव नहीं होगा।

    न्यायालय ने याचिका को निस्तारित करते हुए अपने आदेश में कहा है कि राज्य सरकार ने परिस्थितियों को देखते हुए और गोपनीय रिपोर्टों के आधार पर उर्स की अनुमति से इन्कार किया था पर अब वह आदेश अप्रभावी हो गया है, क्योंकि मेला अवधि समाप्त हो चुकी है।

    न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम व्यवस्था, जिसमें धार्मिक रिवाजों के संपादन की अनुमति दी गई थी, ने राज्य सरकार की सभी आशंकाओं को समाप्त कर दिया है। न्यायालय ने दरगाह शरीफ की प्रबंधन समिति को भी आदेशित किया है कि भविष्य में उर्स तथा मेला का प्रबंधन प्रभावी ढंग से किया जाए तथा प्रवेश स्थलों व अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं।