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    वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जिलानी की तबीयत बिगड़ी, लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती

    By Umesh TiwariEdited By:
    Updated: Fri, 21 May 2021 02:16 AM (IST)

    ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी की तबीयत अचानक बिगड़ गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जिलानी को ब्रेन हैमरेज हुआ है। उन्हें परिवा ...और पढ़ें

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    ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी की तबीयत अचानक बिगड़ गई है।

    लखनऊ, जेएनएन। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआइएमपीएलबी) के सचिव जफरयाब जिलानी की गुरुवार की देर शाम को तबीयत अचानक बिगड़ गई। बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि मामले में कोर्ट में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से वकील रहे वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जिलानी को परिवारीजनों ने इलाज के लिए लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया है। चिकित्सकों के मुताबिक रात आठ बजे उन्हें आइसीयू में भर्ती किया गया। उनका इलाज जारी है। वरिष्ठ चिकित्सक इलाज में लगे हैं, फिलहाल उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

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    परिवारीजनों के मुताबिक देर शाम जब जफरयाब जिलानी कार्यालय से निकल रहे थे तो अचानक बेहोश हो गए थे। उनका पैर फिसल गया जिसकी वजह से वह गिर गए। सिर में चोट भी लग गई। जफरयाब जिलानी की तबीयत के बारे में उनके बेटे नजम ने बताया कि उनके पिता की तबीयत खराब है और उनको अस्पताल में भर्ती करा गया है। चिकित्सकों ने उनके होश में आने की जानकारी दी है।

    देश के सबसे चर्चित मुकदमा लड़ने वाले उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता वकील जफरयाब जिलानी बाबरी मस्जिद और श्रीराम जन्मभूमि मामले में कोर्ट में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से वकील भी रहे हैं। जफरयाब जिलानी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं। जिलानी बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मामले में सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के ओर से वकील थे। उच्चतम न्यायालय में वह बाबरी मस्जिद की तरफ से पैरवी कर रहे थे।

    अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जिलानी ने कहा कि अयोध्या में प्रस्तावित मस्जिद वक्फ अधिनियम के खिलाफ और शरीयत कानूनों के तहत अवैध है। हाल ही में वह एक बार फिर चर्चा में तब आए जब उन्होंने मथुरा में श्री कृष्ण जन्म भूमि का मामला कोर्ट पहुंचा तब उन्होंने कहा कि यह मुद्दा एक डेड इश्यू है, जिसे फिर उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा इसलिए डेड है, क्योंकि जब 1951 के बाद मंदिर मस्जिद ट्रस्ट की बीच एक समझौता हो चुका है जिसमें कहा जा चुका है कि दोनो परिसरों में अब किसी की दावेदारी नहीं है फिर इसे क्यों तूल दिया जा रहा है।