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    कैंसर बनने का न करें इंतजार, अभी से हो जाएं सतर्क- जानिए क्या कहते हैं व‍िशेषज्ञ

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Tue, 11 Feb 2020 02:41 PM (IST)

    मुंह का कैंसर होने से पहले दिखने लगते हैं लक्षण समय रहते कराएं इलाज। केजीएमयू के ओरल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी विभाग में ओरल कैंसर से बचा रहे हैं डॉक्टर। ...और पढ़ें

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    कैंसर बनने का न करें इंतजार, अभी से हो जाएं सतर्क- जानिए क्या कहते हैं व‍िशेषज्ञ

    लखनऊ, (राफिया नाज)। सिनेमा हॉल में फिल्म देखने से पहले अक्सर आपने विज्ञापन देखा होगा कि तंबाकू और पान मसाला खाने से आपको मुंह का कैंसर हो सकता है, लेकिन कोई भी विज्ञापन आपको ये नहीं बताता है कि क्या लक्षण दिखे तो आप सतर्क हो जाएं जिससे कैंसर होने की नौबत न आ पाए। कैंसर होने से पहले भी आपका शरीर आपको कई तरह के लक्षण दिखाने लगता है जिसे समय रहते समझना जरूरी है। इसे पोटेंशियली मैलिंगनेंट ओरल कैंसर डिस्आर्डर कहते हैं। केजीएमयू के ओरल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी विभाग में गत कई वर्षों से इसके लिए जागरुकता फैलाई जा रही है। जिससे कई मरीजों को मुंह के कैंसर से बचाया जा चुका है। प्री कैंसर स्टेज को लेकर विभागाध्यक्ष प्रो रंजीत कुमार पाटिल से खास बातचीत। 

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    सुपारी तंबाकू से ज्यादा हानिकारक

    तंबाकू में निकोटिन और टार नामक हानिकारक तत्व पाए जाते हैं जो कि कैंसर के कारण होते हैं। यही नहीं तंबाकू और पान मसाले से ज्यादा सुपारी कहीं अधिक हानिकारक होती है। सुपारी में सबसे ज्यादा कैंसर कारक तत्व अरिकैडाइन और अरिकोलाइन एसिड होता है जिससे ओरल कैंसर होता है।

    सोच बढ़ा रही है गलतफहमी

    खाली समय में अक्सर कई महिलाएं सुपारी चबाती हैं, या लोग पान में सुपारी डालकर खाई जाती है। वहीं कई लोगों की सोच है कि वो सुपारी खा रहे हैं तंबाकू नहीं तो उन्हें ओरल कैंसर नहीं हो सकता है। प्रो रंजीत पाटिल ने बताया कि सबसे ज्यादा कैंसर कारक तत्व सुपारी में पाया जाता है। ओपीडी में सुपारी खाने मरीजों की संख्या भी ज्यादा है जिनमें ये प्री कैंसर लक्षण पाए जा रहे हैं।

    मुंह के कैंसर और प्री कैंसर स्टेज में अंतर

    एक दो प्रतिशत मरीजों को ओरल कैंसर का खतरा रहता है। इसमें पोटेंशियल मैलिंगनेंट ओरल कैंसर डिस्आर्डर के मरीज 16 से 18 प्रतिशत होते हैं। जिसमें 40 प्रतिशत कैंसर में बदलने की आशंका रहती है।

    कैंसर के लक्षण

    कैंसर में मुंह के अंदर एक बड़े गोभीनुमा ग्रोथ हो जाती है, गाल में सुराख तक हो जाता है। मुंह के अंदर लाल रंग के चकत्ते दिखने लगते हैं। मुंह में घाव हो जाना, आवाज में बदलाव, चबाने या निगलने में कठिनाई, साथ ही जीभ या जबड़े को हिलाने में परेशानी आदि।

    प्री कैंसर के लक्षण

    • प्री कैंसर के लक्षणों को समझना बेहद जरूरी है।
    • मुंह का कम खुलना
    • मुंह में जलन होना
    • मसालेदार भोजन का मुंह में सहन न होना
    • मुंह और जीभ में सफेदी, लाल चकत्ते या घाव होना
    • चबाने और निगलने में कठिनाई होना
    • अत्याधिक लार बनना।

    खुद करें जांच

    • पानी से कुल्ला करें और रोशनी में शीशे के सामने खड़े हो जाएं, मुहं के अंदर कोई सफेद, लाल चकत्ते घाव या कठोर त्वचा दिखे।
    • मुंह कम खुले। धीरे धीरे मुंह कम खुलने की वजह से जबड़े की हड्डी भी फ्रीज होने लगती है। इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत ओरल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी विभाग में संपर्क करें।

    प्री कैंसर स्टेज के प्रकार

    प्री कैंसर को स्टेज के आधार पर चार प्रकार में बांटा गया है। यह हैं-

    • 1. ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस- इसमें मुंह कम खुलता है, जलन होती है, खाना खाने में दिक्कत होती है।
    • 2. ल्यूकोप्लेकिया - इसमें मुंह के अंदर सफेद चकत्ते, खुरदुरापन, बदरंग चकत्ते।
    • 3. ओरल लाइकेन प्लेनस- मुंह में सफेद धारियां, लाल पैच, ये ऑटो इम्यून डिजीज की वजह से होता है। इस बीमारी में मरीज को लगातार फॉलोअप में आने की जरूरत होती है।
    • 4. इरिक्थ्रोप्लेकिया- इसमें मुंह के अंदर लाल और सफेद पैच होते हैं, इसके साथ सफेद बूंदों की तरह कैरेटिनाइज्ड संरचना दिखाई देने लगती है। इस स्टेज की कैंसर में बदलने की आशंका सबसे ज्यादा होती है।

    इलाज

    प्रो रंजीत ने बताया कि इसमें दो तरह से इलाज होता है ये प्री कैंसर स्टेज पर निर्भर करता है। अधिकतर मरीज दवा से ही ठीक हो जाते हैं। वहीं किसी किसी में लेजर ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है।

    कई मरीजों में दवा से सप्ताह भर के अंदर फर्क दिखाई देने लगता है।

    शुरुआती लक्षण

    शुरुआती लक्षणों में मुंह में जलन होना, मीठा, पानी, मिर्च मसाला लगना, मुंह छिला-छिला लगना, खाने पर मुंह में जलन होना।

    नोट-जरूरी नहीं है कि आप किसी तरह के तंबाकू उत्पाद खाएं तभी आपको ओरल कैंसर होगा, परिवार में किसी को ओरल कैंसर हो तो इसकी आशंका बनी रहती है। इसके अलावा शार्प टूथ यानि मुंह के अंदर किसी तरह नुकीले दांत से जीभ या गाल लगातार कटती रहे और जख्म न भरे तो भी ओरल कैंसर हो सकता है। इसके अलावा एचपीवी वायरस से भी ओरल कैंसर की संभावना होती है।

    सही जानकारी न होना इलाज में बाधक

    डॉ रंजीत ने बताया कि अधिकतर मरीज ये मानने को तैयार नहीं होते हैं कि उन्हें किसी तरह के कैंसर के लक्षण हैं। ऐसे में वे फिजिशियन और ईएनटी विशेषज्ञ को दिखाते रहत हैं जिसकी वजह से इलाज में देरी हो जाती है और प्री कैंसर स्टेज कैंसर में बदल जाती है।

    मुंह का खुलना

    भारतीय लोगों का मुंह का आकार 40 से 45 मिमि होता है, या चार अंगुलियां मुंह में आसानी से चली जाएं। प्री कैंसर स्टेज में ये 29 मिमि से कम हो जाती है। सीनियर रेजिडेंट डॉ गौरव कठेरिया ने बताया कि समय रहते अगर प्री कैंसर लीजन का इलाज हो जाए तो मरीज कैंसर जैसे भयावह बीमारी से बच सकता है और कैंसर से होने वाली मानसिक और आर्थिक क्षति से बच सकता है। साथ ही सामाजिक क्षति को भी रोका जा सकता है।