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    AKTU जल्द शुरू होगी डीप फेक पहचान लैब, AI तकनीक से होगी लैस; डिजिटल अपराधों से मिलेगी राहत

    Updated: Sat, 05 Oct 2024 08:21 PM (IST)

    डा. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय जल्द ही डिजिटल अपराधों से निपटने के लिए एक अत्याधुनिक लैब शुरू करने जा रहा है। यह लैब डीप फेक की पहचान करने और डिजिटल अरेस्ट से जुड़े मामलों में मदद करेगी। लैब में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ( एआइ ) की तकनीक का इस्तेमाल होगा और रिटायर्ड पुलिस अधिकारी भी अपना अनुभव साझा करेंगे ।

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    AKTU जल्द शुरू होगी डीप फेक पहचान लैब

    जागरण संवाददाता, लखनऊ। डा. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) जल्द ही डिजिटल अपराधों से निपटने के लिए एक अत्याधुनिक लैब शुरू करने जा रहा है। इस लैब का मुख्य उद्देश्य डीप फेक की पहचान करना और डिजिटल अरेस्ट से जुड़े मामलों में मदद करना होगा। यह लैब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) की तकनीक से लैस होगी, और इसमें पुलिस के रिटायर्ड अधिकारी भी अपना अनुभव साझा करेंगे।

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    डीप फेक एक ऐसी तकनीक है, जिसमें एआइ की मदद से फर्जी वीडियो और आडियो बनाए जाते हैं, जिससे किसी व्यक्ति की पहचान या विचारों को गलत तरीके से पेश किया जा सकता है। यह तकनीक डिजिटल धोखाधड़ी और गलत जानकारी फैलाने का एक बड़ा जरिया बन गई है।

    वहीं, डिजिटल अरेस्ट तकनीक के माध्यम से साइबर अपराधों को नियंत्रित और पकड़ा जाता है, जिसमें डिजिटल साक्ष्यों को सुरक्षित रखना और अपराधियों की पहचान करना शामिल है। एकेटीयू में खुलने वाले नए पहचान लैब में डीप फेक तकनीक की जांच और पहचान करने के लिए उन्नत एआइ उपकरण और साफ्टवेयर मौजूद होंगे।

    यह सेंटर एआई लैब के साथ मिलकर काम करेगा, जो पहले से ही एकेटीयू में संचालित हो रही है। इस लैब के जरिए डिजिटल फेक वीडियो या आडियो की पहचान के लिए विशेषज्ञों को बाहर भेजने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसके अलावा, लैब में रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों का मार्ग दर्शन रहेगा, जो डिजिटल अपराधों से जुड़े अनुभव साझा करेंगे और जांच प्रक्रिया में सहयोग करेंगे।

    क्या बोले कुलपति? 

    कुलपति प्रो. पांडेय के अनुसार, डीप फेक और डिजिटल अरेस्ट जैसी चुनौतियों का सामना करना वर्तमान समय की एक बड़ी आवश्यकता बन गया है। इस सेंटर के जरिए तकनीकी विश्वविद्यालय अपराधों की जांच और उनके समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।