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    अखिलेश यादव ने फोन उठाना बंद कर दिया था... मायावती की पोस्ट से मचा सियासी घमासान; याद दिलाए गठबंधन के वो दिन

    Updated: Fri, 13 Sep 2024 03:18 PM (IST)

    बसपा और सपा के बीच गठबंधन टूटने के बाद आरोप - प्रत्यारोप का दौर जारी है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बसपा पर उनका फोन नहीं उठाने का आरोप लगाया है जबकि बसपा प्रमुख मायावती ने कहा है कि अखिलेश यादव की सफाई कितनी उचित और विश्वसनीय है यह सोचने वाली बात है। कहा कि सपा प्रमुख ने मेरे फोन का भी जवाब देना बंद कर दिया था।

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    मायावती और अखिलेश यादव - फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। बसपा की ओर से जारी की गई बुकलेट में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद गठबंधन टूटने पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को जिम्मेदार ठहराने के आरोप के बाद वार-पलटवार का सिलसिला नहीं थम रहा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गुरुवार को बसपा पर ही उनका फोन नहीं उठाने का आरोप लगाकर कहा था कि किसी को नहीं पता था कि गठबंधन टूटने वाला है।

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    इस पर शुक्रवार को बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि इतने साल बाद सपा प्रमुख की ओर से दी गई सफाई कितना उचित और विश्वसनीय है ? यह सोचने वाली बात है। बीएसपी सैद्धांतिक कारणों से गठबंधन नहीं करती है और अगर बड़े उद्देश्यों को लेकर कभी गठबंधन करती है तो फिर उसके प्रति ईमानदार भी जरूर रहती है।

    बसपा ने कार्यकर्ताओं को बांटी 59 पेज की एक बुकलेट 

    दरअसल बसपा की ओर से 59 पेज की एक बुकलेट कार्यकर्ताओं को बांटी गई है। इस बुकलेट में कहा गया कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बसपा सुप्रीमो मायावती और कई नेताओं का फोन उठाना बंद कर दिया था। इसका जवाब शुक्रवार को जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव की तरफ से आया तो उन्होंने बसपा मायावती का नाम लिये बिना उनपर ही फोन न उठाने का आरोप लगा दिया।

    मायावती ने किया एक और पोस्ट

    शुक्रवार को मायावती ने एक्स पर लिखा कि लोकसभा चुनाव-2019 में यूपी में बसपा की 10 व सपा की पांच सीटों पर जीत के बाद गठबंधन टूटने के बारे में मैंने सार्वजनिक तौर पर भी यहीं कहा कि सपा प्रमुख ने मेरे फोन का भी जवाब देना बंद कर दिया था, जिसको लेकर उनका अब इतने साल बाद सफाई देना कितना उचित व विश्वसनीय है? यह सोचने वाली बात है।

    सपा के साथ सन 1993 व 2019 में हुए गठबंधन को निभाने का भरपूर प्रयास किया गया, लेकिन बहुजन समाज का हित व आत्मसम्मान सर्वोपरि है। बीएसपी जातिवादी व संकीर्ण राजनीति के विरुद्ध है। गठबंधन से अलग हटकर बहुजन समाज में आपसी भाईचारा बनाकर राजनीतिक शक्ति बनाने का मूवमेंट पार्टी चला रही है, जिससे बहुजन समाज बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर के मिशन सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त कर आत्मनिर्भर हो सकें।

    वहीं, बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने भी आरोप लगाया कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा और सपा के गठबंधन टूटने की वजह सपा मुखिया खुद हैं। बहन जी (मायावती) के फोन करने के पहले मैंने सपा प्रमुख को फोन किया था लेकिन वह फोन पर नहीं आए। फिर पार्टी कार्यालय से फोन गया और तब भी सपा प्रमुख से बात नहीं करायी गयी। बहन जी ने बड़े होने के नाते सपा प्रमुख को फोन कर हौसला देने की कोशिश की थी, लेकिन वह फोन पर नहीं आए। इस सबका परिणाम यह रहा कि बीएसपी को गठबंधन तोड़ना पड़ा।

    बसपा महासचिव ने आरोप लगाया कि सपा प्रमुख का यह व्यवहार समाज के वंचितों एवं शोषितों के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने वाला था। बीएसपी सिर्फ वोट ट्रांसफर करवाने के लिए नहीं है, बल्कि देश की एक मात्र ऐसी पार्टी है जो सर्व समाज के हितों में काम करती है। जो लोग इस बारे में बहन जी पर टिप्पणी कर रहे हैं, वह पहले अपना व्यवहार याद कर लें।