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    अखिलेश यादव ने विश्वविद्यालयों की जांच पर योगी सरकार को घेरा, कहा- परीक्षा घोटालों की भी जांच हो

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 10:07 PM (IST)

    सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर विश्वविद्यालयों की जांच को लेकर निशाना साधा। उन्होंने जांच को टीआईआर करार देते हुए कुलपतियों और परीक्षा घोटालों की जांच की मांग की। अखिलेश ने भाजपा पर शिक्षा व्यवस्था बर्बाद करने का आरोप लगाया और शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण घोटाले की जांच की भी मांग की। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार शिक्षा विरोधी है।

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    एसआइआर की तरह हो रहा टीआइआर: अखिलेश यादव।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विश्चविद्यालयों और महाविद्यालयों की जांच के आदेश को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा है।

    सपा प्रमुख ने जांच को टीआइआर (थ्रो इन्वेस्टीगेशन रिपोर्ट) नाम देते हुए इसकी तुलना भारत निर्वाचन आयोग के एसआइआर (स्पेशल इंटेंसिव रिव्यू) से करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी जांच के आदेश दे रहे हैं तो सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और परीक्षा घोटालों की जांच की मांग की है।

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    सपा प्रमुख ने कहा है कि भाजपा सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद कर दिया। भाजपा की गलत नीतियों ने छात्रों, नौजवानों का भविष्य खराब कर दिया है। शिक्षा के साथ ऐसा खिलवाड़ कभी नहीं हुआ, जैसा भाजपा सरकार में हो रहा है।

    अब-जब मुख्यमंत्री जी एसआइआर की तर्ज पर विवि और महाविद्यालयों में टीआइआर लाने का आदेश दे रहे है तो सभी कुलपतियों की भी जांच हो, जो संगी साथियों की पर्ची के लेनदेन से पदों पर बैठे हैं। विश्वविद्यालयों के वित्तीय अनियमितताओं और परीक्षा घोटालों की भी जांच हो।

    सपा प्रमुख ने कहा कि शिक्षकों की नियुक्तियों में आरक्षण घपले की जांच हो कि किस तरह से नाट फाउंड सूटेबल (एनएफएस) को पीडीए के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। विवि की मान्यता, प्रवेश प्रक्रिया की गड़बड़ी और छात्रवृत्ति योजनाओं में हुए घपलों की भी पड़ताल हो।

    फर्जी डिग्री विवाद और निजी विवि में लगे सत्ताधीशों के काले धन की भी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अच्छा हो कि जांच की निष्पक्षता, विश्वसनीयता और पारदर्शिता का आदर्श प्रस्तुत करने के लिए जांच वहां से शुरू हो, जहां के कर्ताधर्ता स्वयं माननीय मुख्यमंत्री जी है।

    सपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा सरकार के एजेंडे में शिक्षा, नौकरी और रोजगार नहीं है। अगर यह होता तो वह 27 हजार प्राथमिक स्कूलों को बंद नहीं करती। यह सरकार गरीबों के बच्चों को शिक्षा से दूर रखना चाहती है। नौजवान भाजपा की असलियत समझ चुका है।