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    'हम भाजपा से जीतना सीख गए हैं', अखिलेश यादव बोले- यूपी में मजबूत है इंडी गठबंधन

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 08:04 PM (IST)

    समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ में कहा कि उनकी पार्टी भाजपा से जीतना सीख गई है और उत्तर प्रदेश में इंडी गठबंधन मजबूत है। उन्होंने विश् ...और पढ़ें

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    पूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने वर्ष 2027 के चुनाव में भाजपा की हार का दवा किया है। सपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा लोकसभा चुनाव में हारी है। विधानसभा चुनाव में भी हारेगी। हम भाजपा से जीतना सीख गये है। यूपी में इंडी गठबंधन मजबूत है। हम इसे और मजबूत बनाएंगे। गठबंधन में सवाल सीट का नहीं जीत का रहेगा। जो पार्टी भाजपा के खिलाफ सीट जीत सकती है, वह लड़ेगी।

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    उन्होंने मनरेगा का नाम बदलने को लेकर भी तंज किया। मंगलवार को जारी एक बयान में सपा प्रमुख ने कहा कि हम लोग अपनी जमीन तैयार कर रहे हैं। जब इंडिया गठबंधन बना था तब यह तय हुआ था कि जिस राज्य में जो क्षेत्रीय दल मजबूत होगा भाजपा को हराने के लिए उसी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा।

    विधानसभा चुनाव में भी लोकसभा चुनाव की तरह समीकरण देखा जाएगा। राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों का आंकलन होगा। सीट बंटवारे को फार्मूले को लेकर कहा कि डेमोक्रेसी में जिसे, जहां ज्यादा वोट मिला हो वही मुख्य फार्मूला होता है। साथ में समीकरण देखा जाता है। लोकसभा चुनाव में भी हमने ऐसा ही किया था। भाजपा अब यूपी में दूसरे नंबर की पार्टी है। भाजपा अयोध्या भी हार गई।

    उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार, लोगों के वोट कटवाने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) करा रही है। अब मुख्यमंत्री जी कह रहे है कि चार करोड़ वोट कट गए। कटे वोट भाजपा के हैं। इस हिसाब से हर विधानसभा में भाजपा के 84 हजार वोट कट गए और वह अभी से हार गई।

    उन्होंने कहा कि सत्ता में आने पर सपा, गरीब महिलाओं को हर साल 40 देगी। पूंजीपतियों की तरह बैंकों से पैसा लेगी और गरीब महिलाओं को देगी।

    वहीं, मंगलवार को सपा प्रमुख ने मनरेगा का नाम बदलने को लेकर एक्स पर लिखा, जिनके अंदर आत्मा नहीं है वो न तो महात्मा में विश्वास करते हैं, न परमात्मा में। जिन महात्मा गांधी जी ने सत्य की लड़ाई जीवन भर लड़ी, उन्हें वो नकारात्मक लोग कैसे मान सकते हैं, जिनकी हर बात झूठी है।

    मनरेगा में राज्यों पर खर्चे का भार बढ़ाकर दरअसल गरीब विरोधी भाजपाई इस ग्रामीण आजीविका की योजना को अंदर-ही-अंदर खत्म करना चाहते हैं।