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    'खड़े-खड़े अपराधी हो गई अरावली पर्वतमाला...', दिल्ली वासियों के लिए अखिलेश का भावुक पोस्ट

    Updated: Sun, 21 Dec 2025 08:01 PM (IST)

    अखिलेश यादव ने अरावली पर्वतमाला की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए दिल्ली वासियों के लिए एक भावुक पोस्ट लिखी। उन्होंने कहा कि अरावली को बचाना कोई विकल ...और पढ़ें

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    अरावली को लेकर दिल्ली वासियों के लिए अखिलेश का भावुक पोस्ट।

    डिजिटल डेस्क, लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट के हाल के एक फैसले ने अरावली पहाड़ियों को लेकर पर्यावरणविदों और आम जनता के बीच बहस छेड़ दी है। इस फैसले को '100-मीटर का फैसला' कहा जा रहा है, जिसमें यह साफ किया गया है कि अरावली इलाके में 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को अपने आप 'जंगल' के तौर पर क्लासिफाई नहीं किया जा सकता।

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    वहीं, अखिलेश यादव ने दिल्ली एनसीआर के निवासियों के लिए एक भावुक अपील की है। जो कहते हैं कि 'बची रहे जो ‘अरावली’ तो दिल्ली रहे हरीभरी!' यह संदेश सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद और मुखर हो गया है, जिसमें अरावली की नई परिभाषा स्वीकार की गई, जिससे पर्यावरणविदों में चिंता बढ़ गई है।

    दिल्ली-NCR के लिए प्राकृतिक सुरक्षा कवच

    अरावली को बचाना कोई विकल्प नहीं है बल्कि ये तो संकल्प होना चाहिए। मत भूलिए कि अरावली बचेगी तो ही एनसीआर बचेगा। अरावली को बचाना अपरिहार्य है, क्योंकि यह दिल्ली और एनसीआर के लिए एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच है या कहें कुदरती ढाल है। अरावली ही दिल्ली के ओझल हो चुके तारों को फिर से दिखा सकती है, पर्यावरण को बचा सकती है।

    अरावली पर्वतमाला ही दिल्ली के वायु प्रदूषण को कम करती है और बारिश-पानी में अहम भूमिका निभाती है। अरावली से ही एनसीआर की जैव विविधता बची हुई है। जो वेटलैंड गायब होते चले जा रहे हैं, उन्हें यही बचा सकती है। गुम हो रहे परिंदों को वापस बुला सकती है।

    अरावली से ही नियंत्रित होता है एनसीआर का तापमान

    अखिलेश यादव ने कहा कि अरावली से एक भावात्मक लगाव भी है, जो दिल्ली की सांस्कृतिक-ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा है। अरावली को बचाना, दिल्ली के भविष्य को बचाना है, नहीं तो एक-एक सांस लेने के लिए संघर्ष कर रहे दिल्लीवासी स्मॉग जैसे जानलेवा हालात से कभी बाहर नहीं आ पाएंगे।

    आज एनसीआर के बुजुर्ग, बीमार और बच्चों पर प्रदूषण का सबसे खराब और खतरनाक असर पड़ रहा है। यहां के विश्व प्रसिद्ध हॉस्पिटल और मेडिकल सर्विस सेक्टर तक बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जो लोग बीमारी ठीक करने दिल्ली आते थे, वो अब और बीमार होने नहीं आ रहे हैं।

    • यही हाल रहा तो उत्तर भारत के सबसे बड़े बाजार और आर्थिक केंद्र के रूप में भी दिल्ली अपनी अहमियत खो देगी।
    • विदेशी तो छोड़िए, देश के पर्यटक भी यहां नहीं आएंगे।
    • न ही दिल्ली में कोई बड़ा इवेंट आयोजित होगा।
    • ⁠न ही कोई राजनीतिक, शैक्षिक, अकादमिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक सम्मेलन आयोजित होगा।
    • न ही ओलंपिक, कॉमनवेल्थ या एशियाड जैसी कोई बड़ी खेल प्रतियोगिता आयोजित होगी।
    • यहां का होटल, रेस्टोरेंट, टैक्सी-कैब, गाइड, हैंडीक्राफ़्ट बिजनेस, हर काम-कारोबार व अन्य सभी आर्थिक-सामाजिक गतिविधियाँ ठप्प हो जाने के कगार पर पहुँच जाएंगी।
    • जब प्रदूषण की वजह से हवाई जहाज़ नहीं चलेंगे, ट्रेनें घंटों लेट होंगी, सड़क परिवहन असुरक्षित हो जाएगा, तो दिल्ली कौन आएगा।
    • ⁠यहां तक कि इसका असर ये भी पड़ेगा कि लोग अपने बेटी-बेटे की शादी तय करने से पहले दिल्ली के हवा-पानी के बारे में सोचने लगेंगे।
    • इसीलिए हर नागरिक के साथ हर स्कूल-कोचिंग, हर व्यापारी, हर कारोबारी, हर दुकानदार, हर रेहड़ी-पटरीवाले, हर घर-परिवार तक को ‘अरावली बचाओ’ अभियान का हिस्सा बनना चाहिए।
    • हर चैनल, हर अख़बार को ये अभियान चलाना चाहिए। जो लोग सरकार की चाटुकारिता कर रहे हैं, वो भी समझ लें कि उनका स्वयं का जीवन भी खतरे में है।

    अरावली को बचाना मतलब खुद को बचाना

    अगर अरावली का विनाश नहीं रोका गया तो भाजपा की अवैध खनन को वैध बनाने की साज़िश और ज़मीन की बेइंतहा भूख देश की राजधानी को दुनिया की ‘प्रदूषण राजधानी’ बना देगी और लोग दिल्ली छोड़ने को बाध्य हो जाएंगे। इसीलिए आइए हम सब मिलकर अरावली बचाएं और भाजपा की गंदी राजनीति को जनता और जनमत की ताकत से हराएं।