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    अमर से यूं ही नहीं चिढ़ते अखिलेश, पिता-पुत्र पर हमले करते रहे

    By Ashish MishraEdited By:
    Updated: Tue, 25 Oct 2016 09:56 PM (IST)

    सपा से बाहर रहते हुए अमर सिंह ने पिता-पुत्र (मुलायम व अखिलेश) पर गंभीर हमले किए। मुलायम को धृतराष्ट्र तक कह चुके अमर सिंह ने अखिलेश को जननेता मानने से भी साफ इन्कार कर दिया था।

    लखनऊ (जेएनएन)। समाजवादी पार्टी में दोबारा शामिल होकर राज्यसभा सदस्य बने अमर सिंह से मुख्यमंत्री अखिलेश यूं ही नहीं चिढ़ते हैं। दरअसल सपा से बाहर रहते हुए अमर सिंह ने पिता-पुत्र (मुलायम व अखिलेश) पर गंभीर हमले किए। उस दौरान मुलायम को धृतराष्ट्र तक कह चुके अमर सिंह ने अखिलेश को जननेता मानने से भी साफ इन्कार कर दिया था।

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    अमर सिंह को दो फरवरी, 2010 को समाजवादी पार्टी से निकाल दिया गया था। इसके बाद अमर ने जमकर भड़ास निकाली। मुलायम पर हमले तो किए ही थे, उनके निशाने पर रामगोपाल यादव भी लगातार रहे थे। 23 अक्टूबर, 2010 को राजधानी लखनऊ में ही उन्होंने कहा था कि सपा में भाई-भतीजावाद हावी है। स्वयं को इसका अपवाद बताकर रामगोपाल यादव पर खुद को खा जाने का आरोप लगाया था। 2012 में अखिलेश की सरकार बनने के बाद भी अमर सिंह के हमले कम नहीं हुए। पांच अगस्त, 2013 को नई दिल्ली में उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह धृतराष्ट्र हो गए हैं।

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    माना जाता है कि इन सभी बयानों ने अखिलेश के दिल पर हमला किया। धृतराष्ट्र पर पुत्र मोह के आरोप थे और अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद अमर का मुलायम को धृतराष्ट्र कहना अखिलेश को बेहद आहत कर गया। सपा में वापसी के बाद भी अखिलेश व अमर की फ्रीक्वेंसी मैच नहीं कर सकी। यही कारण रहा कि राज्यसभा सदस्य बनने के बाद जब अमर ने मुंह फुलाया तो अखिलेश पर सीधा हमला किया।

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    इस साल 22 अगस्त को दिल्ली में उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव फोन पर नहीं आते। अखिलेश सरकार में भी वही लोग ऐश कर रहे हैं, जो मायावती के राज में कर रहे थे। इन स्थितियों में हालत इतने बिगड़े कि पिछले महीने एक कार्यक्रम में अखिलेश ने खुल कर कह दिया कि वह अब कभी उन्हें अंकल नहीं कहेंगे। वैसे सपा में अपनी पहली पारी में भी अखिलेश व अमर के रिश्ते बहुत नजदीकी नहीं रहे। कहा तो यहां तक जाता है कि कुछ पारिवारिक कारणों से अखिलेश की अमर से दूरियां बढ़ीं। सपा छोड़कर जाने के बाद उनके बयानों ने इन दूरियों को और बढ़ाया।

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