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    AI Monitoring of Animals: उत्तर प्रदेश में वन्यजीवाें की निगरानी एआइ से कराने की तैयारी

    By Shobhit Srivastava Edited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Fri, 10 Oct 2025 07:11 PM (IST)

    AI Monitoring Of Wild Animals in UP: कैमरे लगातार लाइव वीडियो या थर्मल इमेज भेजते रहते हैं। इससे वन्यजीवों की गतिविधि, दिशा और समूह के आकार का पता चल जाता है। शिकार और अवैध गतिविधियों की भी इससे रोकथाम हो सकेगी। 

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    वन में जानवराें की हरकताें पर रहेगी निगाह

    शोभित श्रीवास्तव, जागरण, लखनऊ : प्रदेश सरकार मानव-वन्यजीव संघर्ष नियंत्रित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) का सहारा लेने जा रही है। जंगल से आबादी की तरफ आने वाले रास्तों में थर्मल सेंसर युक्त कैमरे लगाने की योजना है।

    इन कैमरे की जद में जानवरों के आते ही मोबाइल फोन पर संदेश जारी हो जाएगा। जंगल से बाहर की तरफ वन्यजीव के आते ही अलर्ट जारी होने से सुरक्षा प्रबंधन में आसानी हो जाएगी। इससे जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकेगा।

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    वन विभाग उन संवेदनशील क्षेत्रों को चिह्नित कर रहा है, जहां मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं अधिक होती हैं। इन कैमरों को इन्हीं स्थानों पर लगाया जाएगा। प्रदेश में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। इसका मुख्य कारण जंगलों का लगातार कम होना और वन्यजीवों का बढ़ना है।

    बाघ व तेंदुओं की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। वर्ष 2018 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में बाघों की संख्या 173 थी जबकि 2022 की गणना में इनकी संख्या 222 हो गई है। इसी प्रकार तेंदुओं की संख्या 2019 में 415 थी वह भी 2022 में बढ़कर 870 हो गई है। वर्तमान में इनकी संख्या एक हजार से अधिक का अनुमान है। जंगल में बाघों की बढ़ती संख्या के कारण तेंदुए जंगल के बाहरी हिस्सों में खासकर बस्तियों के आस-पास रहने लगे हैं। भेड़िए भी अपना आतंक फैलाए हुए हैं।

    मानव-वन्यजीव संघर्ष की इन घटनाओं पर नियंत्रण के लिए सरकार आधुनिक तकनीक का प्रयोग करने जा रही है। समय से पहले चेतावनी के लिए एआइ युक्त थर्मल कैमरे लगाए जाएंगे। यह रात में या फिर घने कोहरे में भी जानवरों की गर्मी पहचान लेते हैं। हाथी, बाघ, तेंदुआ व भेड़िया गांव की ओर बढ़ेगा तो कैमरा अलार्म या मोबाइल नोटिफिकेशन भेज देगा। इससे वन विभाग व स्थानीय लोग समय रहते सचेत हो जाएंगे। वन विभाग ने प्रभावित गांवों में बाघ मित्र बनाए हैं, इनके पास भी अलर्ट भेजकर गांव वालों को सावधान किया जाएगा।

    कैमरे लगातार लाइव वीडियो या थर्मल इमेज भेजते रहते हैं। इससे वन्यजीवों की गतिविधि, दिशा और समूह के आकार का पता चल जाता है। शिकार और अवैध गतिविधियों की भी इससे रोकथाम हो सकेगी। थर्मल कैमरे यह भी दिखाते हैं कि कौन-से मार्गों से जानवर बस्तियों की ओर आते हैं। इस डाटा से कारिडोर की बाड़बंदी, सोलर फेंसिंग या अलार्म सिस्टम की योजना भी भविष्य में बनाई जा सकती है।

    तमिलनाडु में एआइ निगरानी से बची हाथियों की जान

    तमिलनाडु के उच्च जोखिम वाले पलक्कड़-कोयंबटूर रेलवे खंड पर एआइ निगरानी प्रणाली के कारण ही अब तक एक भी हाथी की ट्रेन हादसे में मौत नहीं हुई है। लगभग एक वर्ष में तीन हजार से अधिक हाथियों को सुरक्षित रेल लाइन पार कराया गया है। जैसे ही कोई हाथी पटरी से 100 फीट के भीतर आता है, ट्रेन चालक को तत्काल चेतावनी भेजी जाती है। एआइ निगरानी से पहले यहां अक्सर हाथियों के ट्रेन हादसे हो जाते थे।

    करीब एक करोड़ आता है एक टावर पर खर्च

    एआइ आधारित कैमरों से निगरानी के लिए एक टावर पर करीब एक करोड़ रुपये का खर्च आता है। इसमें तीन से चार अलग-अलग कैमरे एक टावर पर लगाए जाते हैं। इन कैमरों की रेंज दो से तीन किलोमीटर के करीब रहती है। पहले चरण में कितने टावर जरूरी हैं इसके लिए स्थान चिह्नित किया जा रहा है।

    प्रदेश में मानव-वन्यजीव संघर्ष

    वित्तीय वर्ष                 मृत्यु     घायल
    2021-22                29      81
    2022-23                57      114
    2023-24                84      173
    2024-25                60      221
    2025-26                39       78 (आठ अक्टूबर तक) 

    ड्रोन आधारित ट्रेंकुलाइजर

    पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डा. अरुण कुमार सक्सेना ने बताया कि मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं हर हाल में रोकना प्रदेश सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में शामिल है। एआइ आधारित निगरानी के लिए पिछले दिनों दो कंपनियों ने प्रस्तुतीकरण दिया था। इनसे और विस्तृत प्रस्ताव देने के लिए कहा गया है। ड्रोन आधारित ट्रेंकुलाइजर के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। इसके जरिए दूर से ही वन्यजीवों को बेहोश किया जा सकेगा।