Agriculture Development in UP : खेती के योग्य बनेगी 43850 हेक्टेयर बंजर भूमि, कृषि विश्वविद्यालय करेंगे मूल्यांकन
Agriculture Land Development in UP बीहड़-बंजर भूमि को सुधार कर कृषि योग्य बनाने की कसरत चल रही है। सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 से वित्तीय वर्ष 2026-27 तक के लिए पं. दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना संचालित की जा रही है। इसमें चालू वित्तीय वर्ष में 113.06 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : प्रदेश में कृषि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए बंजर भूमि को खेती के योग्य बनाने की मुहिम तेज होने जा रही है। चालू वित्तीय वर्ष में 43,850 हेक्टेयर भूमि का उपचार किया जाएगा।
इसमें 35,600 हेक्टेयर में बंजर सुधार का कार्य और 8,250 हेक्टेयर क्षेत्रों में जलभराव की समस्या के निदान का काम किया जाएगा। पं. दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना के तहत यह लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पिछले वित्तीय वर्ष में 35,600 हेक्टेयर भूमि को उपजाऊ बनाया गया था।
आंकड़ों के अनुसार राज्य में 241.7 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि है, जिसमें से लगभग 24 लाख हेक्टेयर भूमि बंजर या अनुपयोगी है। इसके अलावा प्रति वर्ष 40 से 50 हजार हेक्टयर कृषि उत्पादक भूमि शहरीकरण, मार्गों के निर्माण, औद्योगिकीकरण जैसे गैर कृषि उपयोग में परिवर्तित हो रही है।
इसके लिए बीहड़-बंजर भूमि को सुधार कर कृषि योग्य बनाने की कसरत चल रही है। सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 से वित्तीय वर्ष 2026-27 तक के लिए पं. दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना संचालित की जा रही है। इसमें चालू वित्तीय वर्ष में 113.06 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। विभाग ने इसके लिए कार्ययोजना जारी कर दी है।
इसके तहत समतलीकरण, बंधियों-चेकडैम, जल निकास नालियों का निर्मााण आदि कार्य कराए जाएंगे। योजना में बुंदेलखंड के झांसी, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत, मेरठ को प्राथमिकता दी जाएगी।
इन जिलों में पहले से अटल भूजल योजना संचालित है और उसमें चयनित ग्राम पंचायतों में ही भूमि सुधार का काम किया जाएगा। इसके अलावा अनुसूचित जाति-जनजाति और लघु-सीमांत किसानों की अधिकता वाले क्षेत्रों को भी प्राथमिकता में रखा जाएगा। परियोजना क्षेत्र में उपलब्ध बीहड़ एवं बंजर व ग्रामसभा की भूमि को भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को राजस्व विभाग के सहयोग से आवंटित कराकर या पहले से आवंटित भूमि को खेती योग्य बनाया जाएगा।
सुधार के बाद भूमि पर फसलोत्पादन पर सात हजार रुपये प्रति हैक्टेयर की दर से व्यय किया जाएगा, जिसका 50 प्रतिशत योजना के तहत अनुदान के रूप में दिया जाएगा और 50 प्रतिशत किसान द्वारा स्वयं श्रम एवं सामग्री के रूप में वहन किया जाएगा। बांध निर्माण, जल निकासी नाले का निर्माण आदि में यदि सामान्य कृषकों के खेत आ रहे है तो विशेष परिस्थिति में लाभार्थी के रूप में उन्हें भी सम्मिलित किया जा सकता है।
कृषि विश्वविद्यालय करेंगे मूल्यांकन
योजना के तहत कराए जा रहे कार्यों का मूल्यांकन कृषि विश्वविद्यालयों के माध्यम से कराया जाएगा। कार्य के बाद क्षेत्र की उत्पादन, उत्पादकता एवं आच्छादन में आए सकारात्मक बदलाव का आंकलन किया जाएगा। वार्षिक योजना पूरी होने के बाद राज्य नियोजन संस्थान के मूल्यांकन प्रभाग द्वारा मूल्यांकन किया जाएगा।
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