आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर कई जिलों में हुआ खेल, 3.65 Cr. के अतिरिक्त भुगतान की नहीं हुई जांच
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर कई जिलों में खेल किया गया है। नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सीएजी) की वर्ष 2020 की रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख किया गया था। सीएजी की रिपोर्ट में भूमि अधिग्रहण को लेकर कन्नौज में 3.65 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान करने का मामला उठाया गया था। इसके बाद भी एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण में किए गए घालमेल की जांच नहीं कराई गई है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर कई जिलों में खेल किया गया है। नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सीएजी) की वर्ष 2020 की रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख किया गया था। सीएजी की रिपोर्ट में भूमि अधिग्रहण को लेकर कन्नौज में 3.65 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान करने का मामला उठाया गया था। इसके बाद भी एक्सप्रेसवे के लिए भूमि अधिग्रहण में किए गए घालमेल की जांच नहीं कराई गई है।
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) बोर्ड की 17 जून, 2014 को हुई बैठक में तय किया गया था कि एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए जिला स्तरीय समिति द्वारा निर्धारित दर को लेकर यूपीडा से स्वीकृति लेने के बाद ही भूमि अधिग्रहित की जाएगी। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया था कि जुलाई 2014 से जुलाई 2015 के दौरान कन्नौज के सात गांवों की जमीन की खरीद अनुमोदित दरों से अधिक दर पर की गई थी।
एक्सप्रेसवे के सीमांकन से पहले ही राजस्व रिकार्ड में हेराफेरी कर भूमाफियाओं ने काफी भूमि खरीद ली थी। सीमांकन की जानकारी नह होने के कारण किसानों ने कम दरों पर भूमि बेच दी थी। कन्नौज में किए गए 88 में से 40 बैनामों में किसी सड़क का उल्लेख नहीं किया गया था।
302 किलोमीटर के इस एक्सप्रेसवे के लिए आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कन्नौज, कानपुर नगर, उन्नाव, हरदोई और लखनऊ में किसानों की भूमि ली गई थी। लखनऊ की सरोजनी नगर तहसील में भी एक्सप्रेसवे के किनारे स्थित चार गांवों की भूमि की खरीद में गड़बड़ी की आशंका है। इसकी जांच के बाद मोटा खेल सामने आना तय माना जा रहा है।
ग्राम समाज की कुछ भूमि पर वंचित समाज के लोगों का कब्जा दिखाकर मुआवजा हड़पने के मामले अभी भी सामने आ रहे हैं। इसी प्रकार का एक और मामला राजस्व परिषद के संज्ञान में आया है। इस मामले में ग्राम समाज की भूमि पर वंचित समाज के लोगों का कब्जा दिखाकर मुआवजा हड़पा गया है। रियल एस्टेट के दो कारोबारियों ने भी लखनऊ और काकोरी में किसानों से सस्ती दरों पर भूमि खरीदी थी। हालांकि जांच के बाद 70 सेल डीड की भूमि जब्त की गई थी।

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