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    Expressway Connectivity Project: ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे के दोनों ओर सात मीटर चौड़ी बनेगी सर्विस रोड, इन बड़े शहरों को सीधे मिलेगा लाभ

    Updated: Sat, 05 Jul 2025 07:24 AM (IST)

    आगरा एक्सप्रेसवे को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जोड़ने के लिए ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे परियोजना को मंजूरी मिली है। छह लेन का यह एक्सप्रेसवे कई गांवों से होकर गुजरेगा और इस पर 120 किमी प्रति घंटे की गति से वाहन चल सकेंगे। लखनऊ आगरा कानपुर और अन्य शहरों को इससे सीधा लाभ मिलेगा। इसमें आधुनिक यातायात प्रबंधन प्रणाली भी स्थापित की जाएगी।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, लखनऊ। आगरा एक्सप्रेसवे को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जोड़ने वाले ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे पर परियोजना की लंबाई में दोनों ओर सात मीटर चौड़ाई में सर्विस रोड का निर्माण किया जाना भी है।

    यूपीडा के प्रस्ताव में एक्सप्रेस वे पर यातायात व्यवस्था के सुगम संचालन के लिए एडवांस्ड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (एटीएमएस) भी स्थापित करना शामिल है। एक्सप्रेस वे पर दो बड़े सेतु, 20 छोटे सेतु, दो रेलवे ओवरब्रिज, छह फ्लाईओवर व पांच इंटरचेंजेज का निर्माण होगा।

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    लखनऊ से कानपुर जाने वाले लोग अब पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से सीधे कनेक्ट हो सकेंगे। प्रदेश सरकार ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को जोड़ने के लिए ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे को हरी झंडी दे दिया है। यह छह लेन का होगा और भविष्य में बढ़ते ट्रैफिक के साथ आठ लेन का भी किया जा सकेगा।

    इसके लिए 39 गांवों की 597 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होगा। एक्सप्रेसवे बनने के बाद पांच साल तक निजी कंपनी इसका रखरखाव करेगी। इसे आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे के पहले टोल (महुरा कला) से सीधे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के पहले टोल से जोड़ा जाएगा।

    इसकी लंबाई करीब 49.960 मीटर होगी। इसका सबसे अधिक फायदा लखनऊ, आगरा, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी और गाजीपुर को होगा। यह एक्सप्रेसवे लखनऊ के आदमपुर, इरखरा, सकाभवई, लुहस बंथरा, सिकंदपुर, कुरैनी, भगदुमपुर, काशी जैतीखेड़ा, परवर, पश्चिम परवर, उल्लासखेड़ा, खुजहा, बरकत नगर, किथौली और कलपहास जैसे गांवों से होकर गुजरेगा।

    यहां वाहनों की गति 120 किमी. प्रति घंटे की होगी। वहीं लखनऊ कानपुर एक्सप्रेसवे पर सफर करने वाले लोगों को अगर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पकड़ना होगा तो उन्हें लखनऊ कानपुर एक्सप्रेसवे पर न चलकर लखनऊ-कानपुर (एनएच 27) यानी नीचे वाले एक्सप्रेसवे पर चलना होगा।

    जमीन अधिग्रहण करने की प्रक्रिया और लिंक एक्सप्रेसवे बनाने में कम से कम तीन साल का समय कार्यदायी संस्था को लग सकता है।