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तीनों कृषि कानून रद होने के बाद यूपी में मंडी शुल्क फिर लागू, महंगा होगा गेहूं, चावल और दालें

केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों को रद किये जाने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेशभर में फिर से मंडी शुल्क लागू कर दिया है। अब राज्य में मंडी समिति परिसर के बाहर कारोबार करने वाले व्यापारियों को भी पहले की तरह डेढ़ फीसद शुल्क देना होगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 10 Dec 2021 11:15 PM (IST)Updated: Sat, 11 Dec 2021 07:27 AM (IST)
तीनों कृषि कानून रद होने के बाद यूपी में मंडी शुल्क फिर लागू, महंगा होगा गेहूं, चावल और दालें
यूपी में मंडी समिति परिसर के बाहर कारोबार करने पर पहले की तरह कुल डेढ़ फीसद शुल्क वसूला जाएगा।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों को रद किये जाने के बाद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेशभर में फिर से मंडी शुल्क लागू कर दिया है। अब राज्य में मंडी समिति परिसर के बाहर कारोबार करने वाले व्यापारियों को भी पहले की तरह डेढ़ फीसद शुल्क देना होगा। इसमें एक प्रतिशत मंडी शुल्क और आधा प्रतिशत विकास सेस होगा। इससे खासतौर से गेहूं, चावल और दालें आदि महंगी हो सकती हैं। राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद की ओर से प्रदेशभर में मंडी शुल्क लगाए जाने संबंधी निर्देश शुक्रवार को सभी कृषि उत्पादन मंडी समितियों को दे दिए गए हैं।

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वर्ष 2020 में नए कृषि कानूनों के लागू होने के बाद राज्य सरकार द्वारा आठ जून 2020 को शासनादेश जारी कर मंडी समिति परिसर के बाहर कारोबार करने पर व्यापारियों से किसी तरह का मंडी शुल्क वसूलने की व्यवस्था समाप्त हो गई थी। सिर्फ मंडी परिसर में कारोबार पर ही व्यापारियों को मंडी शुल्क देना होता था। ऐसे में खासतौर से गल्ला व्यापारियों द्वारा मंडी परिसर के बाहर ही कारोबार किया जा रहा था। इससे उन्हें गेहूं, चावल, दाल आदि पर मंडी शुल्क नहीं देना पड़ रहा था।

केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना जारी कर पहली दिसंबर 2021 से तीनों कृषि कानूनों को रद किये जाने के बाद राज्य सरकार ने एक बार फिर से आठ जून 2020 से पहले लागू मंडी शुल्क वसूलने की व्यवस्था को फिर बहाल करने का निर्णय किया है। मतलब यह है कि अब राज्य में मंडी समिति परिसर के बाहर भी व्यापारियों को डेढ़ प्रतिशत मंडी शुल्क देना होगा। गल्ला व्यापारियों का कहना है कि सभी जगह मंडी शुल्क वसूलने का सीधा असर गेहूं, चावल, दाल आदि के भाव पर पड़ेगा। मसलन, तकरीबन दो हजार रुपये प्रति क्विंटल का गेहूं ही 30 रुपये और महंगा हो सकता है। व्यापारियों को नए सिरे से लाइसेंस भी बनवाना होगा।

मंडी शुल्क संबंधी शासनादेश के क्रम में मंडी परिषद निदेशक अंजनी कुमार सिंह द्वारा निर्देश जारी किए गए हैं। अपर मुख्य सचिव कृषि डा.देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि मंडी समितियों को निर्देश दिया गया है कि वे मौजूदा स्टाक को लेकर कारोबारियों का उत्पीड़न कतई न करें। शुक्रवार को आदेश जारी होने के बाद की खरीद पर ही मंडी शुल्क वसूलने के निर्देश दिए गए हैं। मंडी निदेशक अंजनी ने बताया कि कारोबारियों के माल के स्टाक का सत्यापन मंडी समितियां करेंगी। मंडी समिति देखेगी कि कारोबारी के यहां का स्टाक शुक्रवार को जारी संबंधित निर्देश के पहले का खरीदा गया है या बाद का।


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