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    'OTT ने सिस्टम को धक्का मारा…', फिल्में न चलने पर मनोज बाजपेयी ने खोले दिल के राज, Irrfan Khan को लेकर कही ये बात

    फिल्म साइलेंस-2 मनोज की 99वीं फिल्म है। भैयाजी आने के बाद उनकी फिल्मों का शतक पूरा हो जाएगा। मनोज बाजपेयी अपनी फिल्म के प्रमोशन के लिए लखनऊ आए। इस दौरान वह दैनिक जागरण के कार्यालय में पहुंचे। कार्यालय में बातचीत के दौरान उन्होंने अपने जीवन के कुछ मजेदार पल भी साझा किए। दैनिक जागरण के ओटीटी सिस्टम को लेकर भी अपना एक्सपीरियंस भी बताया...

    By Mahendra Pandey Edited By: Riya Pandey Updated: Mon, 08 Apr 2024 08:58 PM (IST)
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    फिल्म साइलेंस-2 का प्रमोशन करने लखनऊ आए अभिनेता मनोज बाजपेयी

    महेन्द्र पाण्डेय, लखनऊ। Actor Manoj Bajpayee: दक्षिण भारत की फिल्मों में अधिक प्रयोग किए जाते हैं। वहां किरदार, परिधान, रिलेशन, सबमें प्रयोग दिखता है, लेकिन हम यह नहीं कर पाते। अगर फिल्म इंडस्ट्री डीसेंट्रलाइज (विकेंद्रित) हो तो जिसको जहां काम मिलेगा, वह वहीं करेगा। फिर वह मुंबई क्यों जाएगा।

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    अभिनेता मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) ने सोमवार को विकेंद्रित फिल्म इंडस्ट्री पर खुलकर बात की। स्पष्ट कहा कि फिल्म इंडस्ट्री जितना डीसेंट्रलाइज हो, उतना ही अच्छा होगा।

    अपनी फिल्म साइलेंस-2 के प्रमोशन के लिए दैनिक जागरण कार्यालय आए मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) ने फिल्म निर्माता, निर्देशक, रंगकर्मियों, शिक्षक व विद्यार्थियों से संवाद किया। उनसे प्रश्न किया गया कि लखनऊ शूटिंग का हब बन रहा है। यहां फिल्म स्टूडियो बन रहा है।

    नोएडा में फिल्म सिटी बन रही है। इसे किस रूप में देखते हैं? मनोज बोले- आने वाले वर्षों में इसका बड़ा फर्क दिखेगा। लखनऊ में शूटिंग बहुत हो रही हैं। मैंने भी कई फिल्मों की शूटिंग यहां की हैं। कलाकारों के लिए यहां अवसर बढ़ रहे हैं।

    हर कैरेक्टर के लिए खुद को करते हैं तैयार

    आपने कई किरदार निभाए हैं। हर कैरेक्टर के लिए स्वयं को किस तरह तैयार करते हैं? मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) ने कहा- मैं हूं या इरफान रहे हों। केके मेनन हों या अन्य वे अभिनेता जिन्होंने रंगमंच पर अभिनय किया है, उन्हें किरदार में ढलने में दिक्कत नहीं होती। अब यथार्थवाद शुरू हो गया है।अभिनय भी नेचुरल किया जा रहा है। 

    नवयुग पीजी कालेज की शिक्षिका डा. अपूर्वा अवस्थी ने प्रश्न किया कि साहित्य व सिनेमा समाज के दर्पण हैं, पर दोनों को अलग किया गया। अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति में दोनों को शामिल किया गया है। इस पर क्या राय है? मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) ने कहा कि देवानंद के समय में साहित्य और सिनेमा जुड़े थे।

    बाद में इनका रूट अलग कर दिया गया, लेकिन अब ओटीटी के आने से तय हो गया है कि सिनेमा का कल्याण साहित्य के जुड़ने से ही होगा। इससे पहले वरिष्ठ रंगकर्मी ललित सिंह पोखरिया ने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और नाटक 'उलझन' की यात्रा पर प्रश्न किया तो मनोज में पूरा वृत्तांत सुनाया। उन्होंने 'उलझन' को अपने बेहतरीन कार्यों में से एक बताया।

    'पिटाई' पर हंसे लोग, मनोज ने की प्रशंसा 

    साइलेंस-2 मनोज की 99वीं फिल्म है। 'भैयाजी' आने के बाद उनकी फिल्मों का शतक पूरा हो जाएगा। 'भैयाजी' की बात हुई तो अभिनेता संदीप यादव ने इसमें अपने किरदार मर्च्युरी ओनर का जिक्र छेड़ दिया। मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) ने तपाक से कहा- उसमें आपकी पिटाई हुई थी न...? यह सुनकर सभी ठहाके लगाने लगे। मनोज भी हंसने से खुद को रोक न सके। उन्होंने संदीप की प्रशंसा करते हुए कहा, इसमें आपने अच्छा काम किया है।

    ओटीटी ने सिस्टम को मारा धक्का

    मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) ने कहा कि ओटीटी (ओवर द टाप) प्रजातांत्रिक है। इस पर लोगों के पास दूसरी फिल्में या वेबसीरीज देखने का विकल्प है। थिएटर में ऐसा नहीं है। ओटीटी ने सिस्टम को धक्का मारा है। यह कितना सफल रहेगा, वक्त बताएगा।

    ज्योतिष अंधविश्वास नहीं, अध्यात्म का विषय

    अभिनेता संदीप यादव ने प्रश्न किया कि आप ज्योतिष पर कितना विश्वास करते हैं? मनोज बाजपेयी  (Manoj Bajpayee) ने कहा कि ज्योतिष अंधविश्वास नहीं है, भविष्य बताने का भी विषय नहीं है। यह अध्यात्म की ओर ले जाने का साधन है। इस पर लगातार शोध होने चाहिए।

    साइलेंस-2 लिखने में लगे डेढ़ वर्ष

    फिल्म साइलेंस मार्च 2021 में आई थी। साइलेंस-2 आने में तीन वर्ष क्यों लगे? मनोज बाजपेयी  (Manoj Bajpayee) ने कहा कि साइलेंस की सफलता के बाद लगा कि साइलेंस-2 बनानी चाहिए, लेकिन इसे लिखने में डेढ़ वर्ष लग गए। इसमें भी अविनाश वर्मा का ही रोल क्यों किया आपने? बाजपेयी ने कहा कि साइलेंस-2 में एक और हत्या हो जाती है। इसकी कहानी हत्या के राजफाश पर ही आधारित है। अविनाश को दर्शकों ने पसंद किया था, इसलिए पार्ट-2 में भी वही किरदार चुना।

    संवाद में ये भी शामिल

    भारतेंदु नाट्य अकादमी के निदेशक बिपिन कुमार, संगीत नाटक अकादमी के निदेशक डा. शोभित कुमार नाहर, ललित कला अकादमी अलीगंज के क्षेत्रीय सचिव देवेंद्र त्रिपाठी, कास्टिंग डायरेक्टर मोहम्मद सैफ, फिल्म निर्देशक अविनाश गुप्ता, फिल्म निर्माता शैलेंद्र श्रीवास्तव, कास्टिंग डायरेक्टर रवि गुप्ता, छात्रा साक्षी दुबे, पूजा सिंह व दिशा मिश्रा।

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