UP: भ्रष्टाचार पर प्रहार-समाज कल्याण विभाग के चार अधिकारी बर्खास्त, तीन की पेंशन से कटौती
Action On Corruption in UP: जांच समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण की निगरानी में कराई गई, जिसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ। मंत्री ने सभी मामलों में एफआईआर दर्ज कर दोषियों से सरकारी धन की वसूली का निर्देश दिया है। कार्रवाई श्रावस्ती, मथुरा, शाहजहांपुर और औरैया जिलों में हुए घोटालों से संबंधित है।

भ्रष्टाचार के मामले में याेगी आदित्यनाथ सरकार का करारा प्रहार
राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामले में याेगी आदित्यनाथ सरकार का करारा प्रहार जारी है। समाज कल्याण विभाग ने भ्रष्टाचार में लिप्त चार अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है, जबकि तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों की पेंशन में स्थायी कटौती का आदेश दिया गया है।
इनमें से कई प्रकरण डेढ़ दशक से अधिक समय से लंबित थे। जांच समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण की निगरानी में कराई गई, जिसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ। मंत्री ने सभी मामलों में एफआईआर दर्ज कर दोषियों से सरकारी धन की वसूली का निर्देश दिया है। कार्रवाई श्रावस्ती, मथुरा, शाहजहांपुर और औरैया जिलों में हुए घोटालों से संबंधित है।
जिन अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है, उनमें श्रावस्ती की तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी मीना श्रीवास्तव शामिल हैं, जो मार्च 2008 से अप्रैल 2012 तक पद पर रहीं। उन्होंने मुख्यमंत्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना के तहत प्राप्त आवेदनों को बिना सक्षम स्वीकृति के डाटा फीड कराया, शादी और बीमारी सहायता योजना के लाभार्थियों के खातों में हेरफेर की और छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि के दुरुपयोग में लिप्त रहीं। इन पर सेवा से बर्खास्तगी की कार्रवाई की गई है।
मथुरा के तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी पर निजी आइटीआइ संस्थानों को अनियमित रूप से छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान करने का आरोप है। जांच में पाया गया कि उन्होंने 11 अमान्य संस्थानों को 2.53 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की और दो वर्ष से लेकर 51 वर्ष तक की आयु के फर्जी छात्रों को दाखिला दिखा कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया। इनके खिलाफ सेवा से बर्खास्तगी के साथ 19.25 करोड़ रुपये की वसूली का आदेश दिया गया है।
हापुड़ के तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी संजय कुमार ब्यास ने वर्ष 2012-13 में शासनादेशों की अनदेखी करते हुए शिक्षण संस्थानों से डेबिट अथारिटी लेटर प्राप्त कर छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि सीधे शिक्षण संस्थाओं के बैंक खातों में भेजी।
इससे लगभग 2.74 करोड़ रुपये की अनियमितता हुई। जांच में यह भी पाया गया कि उन्होंने विभागीय वेबसाइट पर छात्रों के रिकार्ड में कूटरचना कर घोटाला किया। इस पर उन्हें बर्खास्त करते हुए 3.23 करोड़ रुपये की वसूली का निर्देश दिया गया है।
शाहजहांपुर के तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी राजेश कुमार पर वित्तीय वर्ष 2022-23 में वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत लाभार्थियों के बैंक खाते बदलकर अपात्र व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने का आरोप सिद्ध हुआ है। इनके खिलाफ सेवा से बर्खास्तगी और 2.52 करोड़ रुपये की वसूली का आदेश जारी हुआ है।
समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी है। ऐसे सभी मामले जो अब तक दबे हुए हैं, उनमें भी शीघ्र कार्रवाई होगी और दोषियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की जाएगी।
सेवानिवृत्त अधिकारियों पर भी कार्रवाई
तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों में वर्ष 2018 से 2020 तक औरैया के जिला समाज कल्याण अधिकारी रहे श्रीभगवान पर जांच में यह आरोप सही पाया गया कि उन्होंने 251 लाभार्थियों के खाते बदलकर अन्य लोगों के खातों में पेंशन की राशि भेज दी। इससे 33.47 लाख रुपये का राजस्व नुकसान हुआ। अब उनके देयकों से 20 लाख रुपये की वसूली की जाएगी और पेंशन में से 10 प्रतिशत की स्थायी कटौती का आदेश दिया गया है।
मथुरा में पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी विनोद शंकर तिवारी पर वर्ष 2015-16 से 2019-20 के बीच 11 अमान्य संस्थानों को 2.53 करोड़ रुपये देने और 5133 छात्रों को बिना परीक्षा में शामिल हुए 9.69 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति दिलाने का आरोप साबित हुआ है। उनकी पेंशन से 50 प्रतिशत की स्थायी कटौती और 1.96 करोड़ रुपये की वसूली का आदेश हुआ है।
मथुरा के ही पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी उमा शंकर शर्मा ने आइटीआइ संस्थानों में स्वीकृत सीटों से 5526 अधिक छात्रों को फर्जी भुगतान कराया। इनके पेंशन से 50 प्रतिशत की स्थायी कटौती और 88.94 लाख रुपये की वसूली का आदेश है।

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