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    भ्रष्टाचार पर अंकुश, आयुष्मान योजना के फर्जी कार्ड से इलाज करने वाले अस्पतालों की होगी जांच

    By Amit Yadav Edited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Mon, 10 Nov 2025 07:40 PM (IST)

    Action Of Corruption: छह महीनों में बने कार्ड की जांच और उनके लाभार्थियों से पूछताछ भी की जाएगी। पुलिस के अलावा साचीज के अधिकारी अपने स्तर से भी गड़बड़ी की जांच कर रहे हैं। खास बात यह है कि इस बार भी आयुष्मान भारत के पोर्टल में सेंध लगाई गई है, जैसे की मई 2025 में 9.45 करोड़ रुपये कई अस्पतालों के खाते में ट्रांसफर किए गए थे।

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    आयुष्मान योजना के फर्जी कार्ड (सांकेतिक)

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: आयुष्मान योजना के फर्जी कार्ड बना कर इलाज का बिल लेने वाले अस्पतालों की जांच होगी। इन अस्पतालों ने फर्जी कार्ड से इलाज के बाद भुगतान के लिए स्टेट एजेंसी फार काम्प्रिहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) के पास आवदेन कर दिया था। अब इन अस्पतालों के पुराने इलाज के दावों के रिकार्ड की जांच होगी। पुराने भुगतान में गड़बड़ी मिली तो इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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    आयुष्मान भारत के पोर्टल में सेंधमारी करके हैकर ने 450 से अधिक आयुष्मान कार्ड बनाए थे। इनसे अस्पतालों में इलाज भी कराया गया। जांच में संदिग्ध मिले कार्ड निरस्त कर दिए गए हैं। जिन अस्पतालों ने इन कार्ड के आधार पर मरीजों को भर्ती किया है, इस फर्जीवाड़े में उनकी मिलीभगत का पता लगाने के लिए पुराने इलाज के बिल खंगाले जा रहे हैं।

    इसके साथ ही बीते छह महीनों में बने कार्ड की जांच और उनके लाभार्थियों से पूछताछ भी की जाएगी। पुलिस के अलावा साचीज के अधिकारी अपने स्तर से भी गड़बड़ी की जांच कर रहे हैं। खास बात यह है कि इस बार भी आयुष्मान भारत के पोर्टल में सेंध लगाई गई है, जैसे की मई 2025 में 9.45 करोड़ रुपये कई अस्पतालों के खाते में ट्रांसफर किए गए थे।

    अभी तक जांच में पता चला है कि मई में अधिकारियों की आईडी हैक करके 9.45 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए। इसी तरह अधिकारियों के नंबर हैक करके आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं। माना जा रहा है कि कोई ऐसा व्यक्ति इस पूरे खेल के पीछे हैं, जिसे साचीज की भुगतान की प्रणाली की कमियां मालूम हैं। अधिकारियों की आईडी और मोबाइल नंबर हैक करके फर्जीवाड़ा किया गया है। करोड़ों के भुगतान के मामले में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) भी जांच कर रही है।

    फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने और 9.45 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के मामले में इंप्लीमेंटेशन सपोर्ट एजेंसी (आईएसए) की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है, क्योंकि अस्पतालों के भुगतान के दावों की जांच सबसे पहले यही एजेंसी करती है। साचीज की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अर्चना वर्मा का कहना है कि भुगतान को प्रणाली के हर पहलू की जांच की जा रही है। अस्पतालों के इलाज के दावों के एक-एक दस्तावेज जांचे जाएंगे। कार्ड बनवाने वालों से लेकर भुगतान लेने वालों की जांच स्टेट एंटी फ्राड यूनिट कर रही है।