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    Action of Yogi Adityanath : फाइल बढ़ाने के लिए रिश्वत लेने पर अनुभाग अधिकारी निलंबित, फोन पर बातचीत का साक्ष्य

    By Jagran NewsEdited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Mon, 05 May 2025 05:39 PM (IST)

    Action Against Corruption in UP चिकित्सा प्रतिपूर्ति और एसीपी से संबंधित फाइलों को आगे बढ़ाने के लिए रिश्वत मांगने की पीड़ा कुछ अन्य कर्मचारियों ने भी व्यक्त की है। चिकित्सा प्रतिपूर्ति से संबंधित फाइलें बढ़ाने के लिए रिश्वत मांगने का यह मामला सोमवार को सचिवालय में चर्चा का विषय था।

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    ब्यूरो: फाइल बढ़ाने के लिए रिश्वत लेने व मांगने पर अनुभाग अधिकारी निलंबित

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत योगी आदित्यनाथ सरकार ने रिश्वतखोरी के मामले में एक अधिकारी को सोमवार को निलंबित कर दिया। सचिवालय प्रशासन विभाग-नौ (विविध) के अनुभाग अधिकारी संतोष कुमार उपाध्याय को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

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    संतोष कुमार उपाध्याय पर चिकित्सा प्रतिपूर्ति की फाइल आगे बढ़ाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात सहायक समीक्षा अधिकारी से 20 हजार रुपये लेने के साथ ही और पांच हजार रुपये मांगने का आरोप है। शिकायतकर्ता ने फोन पर हुई बातचीत का साक्ष्य भी प्रस्तुत किया है। इनके खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही भी की जा रही है।

    बेसिक शिक्षा विभाग में मंत्री संदीप सिंह के साथ तैनात सहायक समीक्षा अधिकारी जयशंकर यादव ने इस मामले की साक्ष्यों सहित लिखित शिकायत सचिवालय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव के रविंद्र नायक से की थी। शासकीय कार्य के लिए रुपये की मांग करने के इस मामले को प्रमुख सचिव ने गंभीरता से लेते हुए निलंबन का आदेश जारी किया है। निलंबन के साथ ही संतोष कुमार उपाध्याय को सचिवालय प्रशासन अनुभाग-एक (अधिष्ठान) से संबद्ध किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली-1999 के नियम चार के तहत निलंबन का आदेश जारी किया गया है।

    सचिवालय में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों से उनकी चिकित्सा प्रतिपूर्ति से संबंधित फाइलें बढ़ाने के लिए रिश्वत मांगने का यह मामला सोमवार को सचिवालय में चर्चा का विषय बना हुआ था। सचिवालय कार्मिकों के व्हाट्सअप ग्रुपों में सचिवालय प्रशासन अनुभाग-नौ में चिकित्सा प्रतिपूर्ति और एसीपी से संबंधित फाइलों को आगे बढ़ाने के लिए रिश्वत मांगने की पीड़ा कुछ अन्य कर्मचारियों ने भी व्यक्त की है। बताया जाता है कि अनुभाग अधिकारी के रिश्वत मांगने की बातचीत का पुख्ता साक्ष्य होने के नाते इस मामले में बहाली आसान नहीं होगी।