Accidents From Electricity: यूपी में 11 हजार विद्युत दुर्घटनाओं के कारण बांटा गया दो अरब मुआवजा
Accidents From Electricity in UP ज्यादातर मवेशियों की मौत बिजली के पोल जलभराव में तार टूटकर गिरने से हुई। इनका मुआवजा अलग से देना पड़ा। यह आकंड़े बताते हैं कि बिजली विभाग का तंत्र कितना मजबूत है। सिर्फ लोगों की मौत का मुआवजा करीब दो अरब रुपये के आसपास देना पड़ा।

अंशू दीक्षित, जागरण, लखनऊ : उत्तर प्रदेश के हर जिले में बिजली कर्मी, आम नागरिक व मवेशियों की मौत हो रहीं है। यह सब प्रदेश में बिजली विभाग के कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर का नतीजा है।
ढाई वर्ष में 3,606 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इनमें मरने वालों में 257 बिजली कर्मी तथा 3,349 आम नागरिक शामिल है। 3,825 अग्निकांड में करोड़ों की फसल जलने के साथ ही 3600 मवेशियों की भी मौत हो गई। ज्यादातर मवेशियों की मौत बिजली के पोल, जलभराव में तार टूटकर गिरने से हुई। इनका मुआवजा अलग से देना पड़ा। यह आकंड़े बताते हैं कि बिजली विभाग का तंत्र कितना मजबूत है। सिर्फ लोगों की मौत का मुआवजा करीब दो अरब रुपये के आसपास देना पड़ा।
राजधानी के हुसैनगंज की शंकरपुरी फूलबाग मोहल्ले में आठ वर्षीय फहद की मौत करंट लगने से हो गई थी। जांच हुई बिजली विभाग को दोषी माना गया और विद्युत सुरक्षा निदेशालय की संस्तुति पर उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड ने परिजनों को पांच लाख का चेक भी दे दिया। इस्माइलगंज में बारिश के कारण जलभराव हो गया और करंट से तीन गाय मर गई, इनके मालिक को भी प्रति गाय करीब पंद्रह हजार रुपये देकर विभाग ने छुटकारा पा लिया। यह हाल सिर्फ लखनऊ का नहीं है।
घटनाओं का ग्राफ नियंत्रित अनियंत्रित
विद्युत सुरक्षा निदेशालय की रिपोर्ट के आंकड़े से साफ है कि घटनाओं का ग्राफ जिस गति से नियंत्रित होना चाहिए, वह नहीं हो रहा है। बिजली विभाग के अलग-अलग डिस्काम घटना के बाद विद्युत सुरक्षा निदेशालय से जांच करवाते हैं। मार्च 2023 से 15 सितंबर 2025 के बीच करीब 11 हजार बिजली से जुड़ी दुर्घटनाएं हुईं। इसे निदेशालय ने घातक और साधारण श्रेणी में बांटा है। यह आंकड़े उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड के अंतर्गत आने वाले मध्यांचल, पूर्वांचल, दक्षिणांचल, पश्चिमांचल डिस्काम व केस्को के हैं।
करंट से व्यक्ति की मौत पर पांच लाख मुआवजा निर्धारित है। मवेशी करंट से मरता है तो उसकी नस्ल के अनुसार मुआवजा दिया जाता है। राजस्व विभाग ने आंकलन करके इसका मुआवजा दिलवाया। इन सब का आंकड़ा कई अरब पहुंचता है, जो विभाग को घाटे में पहुंचा रहा है।बिजली विभाग अमूमन घटनाओं को दबा देता है। स्थानीय लोगों के विरोध पर ही विभाग दुर्घटनाओं की जांच विद्युत सुरक्षा निदेशालय से करवाता है। प्रदेश के सभी डिस्काम द्वारा विद्युत सुरक्षा निदेशालय भेजी गई रिपोर्ट बताती है कि घटनाओं का ग्राफ जिस गति से नियंत्रित होना चाहिए, वह नहीं हो रहा है।
पिछले कुछ वर्षमें विद्युत दुर्घटनाओं का आंकड़ा
वित्तीय वर्ष मृत बिजली कर्मियों की संख्या मृत बाहरी व्यक्ति अग्निकांड की संख्या
2023-2024 103 1269 1747
2024-2025 105 1289 1109
2024-2026 49 791 969
यह आंकड़े 15 सितंबर 2025 तक के हैं।
नोट : तीन सालों में मवेशियों के मरने का आंकड़ा भी 3600 के आसपास है।
क्या है मुआवजे का नियम
- अगर फसल जलती है तो विद्युत सुरक्षा निदेशालय की टीम जांच करती है
- लेखपाल अपनी रिपोर्ट लगाता है कि कितनी फसल जली।
- फसल क्या थी और सरकारी मूल्य क्या है? उसके हिसाब से उसका निर्धारण होता है।
- करंट से व्यक्ति की मौत पर पांच लाख मुआवजा निर्धारित है।
- मवेशी करंट से मरता है तो उसकी नस्ल के अनुसार मुआवजा दिया जाता है।
सुरक्षा व संरक्षा को लेकर गाइड लाइन जारी
निदेशक, विद्युत सुरक्षा निदेशालय जीके सिंह ने बताया कि निदेशालय हमेशा सुरक्षा व संरक्षा को लेकर गाइड लाइन जारी करता है। सेमिनार कराए जाते हैं और वितरण से जुड़े अभियंताओं को बताया जाता है कि कैसे दुर्घटनाओं का ग्राफ शून्य पर लाएं। इसके अलावा हर जांच में सेफ्टी को लेकर अवगत कराया जाता है। इसी का नतीजा है हर साल ग्राफ कम होता जा रहा है।
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