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    अयोध्‍या में आप सांसद संजय स‍िंंह ने भूम‍ि खरीद पर उठाए सवाल, कहा- रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट ने झूठ बोल कर ली जमीन

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Tue, 28 Dec 2021 10:34 PM (IST)

    आम आदमी पार्टी इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेगी और इसके विरुद्ध सड़क से संसद तक संघर्ष छेड़ेगी। संजय सि‍ंह ने दावा किया कि रामजन्मभूमि क्षेत्र के पांच किलोमीटर के दायरे में पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों भाजपा विधायकों उनके रिश्तेदारों ने जमीनें खरीदी हैं।

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    सांसद ने कहा कि ट्रस्ट ने गुमराह करके अनुसूचित जाति के लोगों की जमीन हड़पने का काम किया है।

    अयोध्या, जागरण संवाददाता। महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट की भूमि बेचे जाने के विवाद में मंगलवार को आम आदमी पार्टी भी कूद पड़ी। पार्टी के यूपी प्रभारी एवं राज्यसभा सदस्य संजय सि‍ंह ने प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सि‍ंह के साथ मंगलवार को मांझा बरहटा गांव पहुंचे और ग्रामीणों से भेंट की। इस मौके पर सांसद ने कहा कि ट्रस्ट ने गुमराह करके अनुसूचित जाति के लोगों की जमीन हड़पने का काम किया है और जो जमीन विद्यालय, अस्पताल आदि सेवा कार्य के लिए ली गई उस पर प्लाटि‍ंग कर अरबों रुपये का कारोबार किया जा रहा है।

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    आम आदमी पार्टी इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेगी और इसके विरुद्ध सड़क से संसद तक संघर्ष छेड़ेगी। संजय सि‍ंह ने दावा किया कि रामजन्मभूमि क्षेत्र के पांच किलोमीटर के दायरे में पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों, भाजपा विधायकों, उनके रिश्तेदारों ने जमीनें खरीदी हैं और इसका पूरा विवरण उनके पास है। उप्र में नियम है कि सवा तीन एकड़ से अधिक भूमि होने पर ही अनुसूचित जाति का कोई व्यक्ति गैर अनुसूचित जाति के किसी व्यक्ति को जमीन बेच सकता है।

    ऐसे में अनुसूचित जाति के ही रोघई नाम के व्यक्ति को तैयार किया गया और रोघई ने एक-दो बीघे की जमीन रखने वाले उस क्षेत्र के अनुसूचित जाति के लोगों से 21 बीघा जमीन खरीदी। फिर उसने 21 बीघा जमीन महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट को दान कर दी। जब वह जमीन दान में चली गई और इस बात का पता रोघई को जमीन बेचने वाले अनुसूचित जाति के महादेव को पता चली, तो उसने शिकायत की। उसने कहा कि उनकी जमीनों को गलत ढंग से खरीद कर, बेचा जा रहा है, जो कि ट्रस्ट नहीं कर सकता। संजय सि‍ंह ने कहा कि जब इस बात का खुलासा हुआ, तो अधिकारियों ने जांच बैठा दी। हद तो यह रही जो अधिकारी इस मामले की जांच बैठाते हैं, वही अधिकारी ट्रस्ट से फिर जमीनें खरीदते हैं।